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प्रादेशिक

‘जय श्रीराम’ पर हमें एतराज नहीं, पर किसी को अल्लाह-हू-अकबर पर भी आपत्ति न हो: आजम

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नई दिल्ली। सोमवार को 17वीं लोकसभा के पहले सत्र की कार्यवाही शुरू हो चुकी है । सत्र के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ नए चुने गए सदस्यों ने निचले सदन की सदस्यता की शपथ ली थी। लोकसभा में शपथ के दूसरे दिन मंगलवार को शपथ के दौरान संसद में ‘जय श्रीराम’ के नारे लगाए गए जिससे विवाद हो गया।

इस पर समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खान का कहना है कि हमें जय श्रीराम से क्या एतराज हो सकता है? अगर संसद में जय श्रीराम के नारे लगते हैं, तो अल्लाह-हू-अकबर से किसी को क्यों एतराज़ होना चाहिए? बात निकली है, तो बहुत दूर तलक जाएगी। रामचंद्र से मुसलमानों का कोई विवाद नहीं है और न ही हो सकता है। हम किसी मजहब की तौहीन कर ही नहीं सकते, लेकिन जब पैगम्बर मोहम्मद साहब के लिए कोई बात आती है तो दुख होता है।

योगी आदित्यनाथ सरकार के प्राइवेट यूनिवर्सिटी पर आजम खान ने कहा कि वो जो करना चाहे करे लेकिन जौहर यूनिवर्सिटी में गरीबों को शिक्षा दी जाती है। आजम खान ने ये भी कहा कि हमारे यहाँ लड़कियों को शिक्षा दी जाती है जिससे वो पढ़ लिखकर अपने पैरों पर खड़ी हो सके। आजम खान ने यूनिवर्सिटी में देशद्रोही एक्टिविटी चलने के आरोप पर कहा कि वो जो कहना चाहे कहे लेकिन हमारे यूनिवर्सिटी में तमाम लोगों को कम पैसे में शिक्षा दी जाती है।

आप को बता दें कि आजम खान समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं और वह रामपुर संसदीय सीट से बीजेपी उम्मीदवार जयाप्रदा को हरा कर संसद में पहुंचे है।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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