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ज्योतिष ने की भविष्यवाणी अगर 23 की जगह 24 को आए नतीजे को इस पार्टी को होगा बंपर फायदा

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नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2019 के अंतिम चरण के मतदान आज यानि रविवार को देश के 15 राज्यों की 59 सीटों पर हो रहे हैं। अंतिम चरण के चुनाव के बाद 23 तारीख चुनाव रिजल्ट घोषित होने हैं लेकिन उससे पहले राजनीतिक दल द्वारा सियासी जोड़तोड़ की कवायद शुरू कर दी गई है।

इसी कड़ी में तेलुगु देशम पार्टी प्रमुख और आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री ने शनिवार को तीसरा मोर्चा तैयार करने के लिए विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात शुरू कर दी।

अगले पांच सालों के लिए सत्ता किसे मिलेगी इसके तमाम कयास लगाए जा रहे हैं। लोगों के मन में एक ही सवाल है कि क्या नरेंद्र मोदी दोबारा केंद्र की सत्ता में आएंगे या 2019 में बदलाव आएगा।

इन तमाम आकलनों के बीच अंक ज्योतिषीय गणना में नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी दोनों के लिए सकारात्मक सकारात्मक संकेत दिखा रहा है।

ज्योतिषाचार्य डॉ अरुणेश कुमार शर्मा के अनुसार 23 मई 2019 को शुरू हो रही मतगणना भाग्यांक के आधार पर नरेंद्र मोदी के पक्ष में है। मतगणना दिनांक 23 का पूर्णांक 5 है। अंक 5 नरेंद्र मोदी की जन्मतिथि 17-09-1950 के अनुसार, उनका भाग्यांक है।

ऐसे में मतगणना 23 को शुरू होकर रात 12 बजे तक पूर्ण हो जाती है, तो निश्चित ही नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए और भाजपा को फायदा होगा। कारण, नमो का जन्मांक 8 और भाग्यांक 5 है।

इसके इतर मतगणना लंबी चलती है। वह 24 तारीख में प्रवेश करती है, तो यह राहुल गांधी के लिए सकारात्मक संकेतों की झड़ी लगा सकती है। कारण, राहुल गांधी की जन्मतिथि 19-06-1970 है। उनका जन्मांक 1 और भाग्यांक 6 है। 24 तारीख का पूर्णांक 6 बनता है। 6 अंक रागा का भाग्यांक है। ऐसे में अंकों के आंकलन से कहा जा सकता है कि मतगणना की शुरुआत नमो के पक्ष में रह सकती है। तो प्रक्रियागत लंबी अवधि रागा को लाभ पहुंचा सकती है।

यहां यह भी स्पष्ट कर दें कि मतगणना का आरंभ धनु के चंद्रमा में होगा. धनु में चंद्रमा का शनि से संयोग भ्रमपूर्ण स्थिति का संकेतक है। ज्योतिषाचार्य डॉ अरुणेश कुमार शर्मा का कहना है कि ऐसे में परिणाम भी भ्रमपूर्ण और अस्पष्ट आ सकते हैं, अर्थात् किसी भी एक दल को पूर्ण बहुमत मिलने के आसार कम ही हैं।

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दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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