नेशनल
रमजान में रोजे रखने के होते हैं कई फायदे, गंभीर बीमारियां भी हो जाती हैं दूर
नई दिल्ली। दुनियाभर में रमजान का पवित्र महीना बड़े ही अदब से मनाया जा रहा है। सभी मुसलमान रोजे-नमाज और तराबीह से अल्लाह की इबादत कर रहे हैं।
इस्लाम धर्म के मुताबिक रमजान में रोजा अल्लाह के लिए रखा जाता है लेकिन इसके कुछ साइंटिफिक फायदे भी हैं। आइए जानते हैं रमजान में रोजा रखने से कौन से होते हैं फायदे…
- वजन कम होता है- रमजान में लगातार रोजे रखने से मोटापे में कमी आती है। यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास की स्टडी के मुताबिक, खाली पेट रहने या कम मात्रा में खाने से शरीर की सूजन कम होती है, ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और वजन भी कम होता है। स्टडी के मुताबिक, फास्ट करने से शरीर की कोशिकाओं पर स्ट्रेस पड़ता है। इससे वजन कम होने में मदद मिलती है।
- खजूर है जरूरी- इस्लाम में रोजा खोलने के लिए खजूर खाना सुन्नत माना जाता है। साथ ही इससे सेहत को भी काफी फायदा मिलता है। खजूर में मौजूद फाइबर से एनर्जी के साथ डाइजेशन सिस्टम बेहतर होता है।
- कोलेस्ट्रोल कम होता है-हेल्थ एक्सपर्ट रोजे रखने से शरीर का कोलेस्ट्रोल भी कम होता है।
- मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है-रोजे के दौरान दिनभर भूखे प्यासे रहने से मेटाबॉलिज्म बेहतर तरीके से काम करने लगता है। इससे खाने के ज्यादा से ज्यादा न्यूट्रिएंट्स शरीर को मिलते हैं। रमजान में लंबे समय तक भूखे रहने के बाद देर शाम खाने से शरीर में Adiponectin हार्मोन बनता है, ये शरीर को ज्यादा न्यूट्रिएंट्स एब्जोर्ब करने में मदद करता है।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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