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नेशनल

ट्वीट करते समय पीएम मोदी से हो गई बड़ी चूक, विपक्ष के हंगामे के बाद सुधारनी पड़ी गलती

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नई दिल्ली। गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश समेत देश के कई इलाकों में आए आंधी-तूफान से मरने वालों की संख्या 31 पहुंच गई है जबकि दर्जन भर लोग घायल है।

प्राकृतिक आपदा से हुए भारी नुकसान के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी संवेदना ट्वीट के जरिए व्यक्त की लेकिन ट्वीट करते समय उनसे एक बड़ी गलती हो गई जिसे राजनीतिक दिग्गज भुनाने में लग गए।

दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर घायलों के लिए दुख जताया और मुआवजे का भी ऐलान किया लेकिन उन्होंने ऐसा सिर्फ गुजरात के लिए किया।

पीएम की इस बात को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कैच कर लिया और ट्वीट के जरिए जमकर घेरा। उन्होंने कहा कि मोदी जी आप देश के प्रधानमंत्री हैं न कि सिर्फ गुजरात के।

हालांकि, इस मुद्दे पर विवाद होने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से अन्य राज्यों के लिए भी मुआवजे का ऐलान कर दिया गया है।

सुबह करीब 11 बजे PMO की तरफ से ट्वीट आया कि मध्य प्रदेश, राजस्थान, मणिपुर समेत कई राज्यों में आंधी-तूफान की वजह से हुए नुकसान पर दुख व्यक्त करता हूं। यहां भी मृतकों के परिवार को 2 लाख, घायलों को 50 हजार की मदद की जाएगी।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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