नेशनल
सुप्रीम कोर्ट ने दिया मोदी सरकार को झटका, अब बताना होगा किसने दिया चंदा
नई दिल्ली। लोकसभा 2019 के चुनाव के बीच सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को चुनावी बॉन्ड पर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने सभी दलों को इस बारे में 30 मई तक सीलबंद लिफाफे में चुनाव आयोग को जानकारी सौंपने को कहा है। इससे पहले कोर्ट ने केंद्र सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें सरकार की तरफ से कहा गया था कि चुनाव तक इस मामले में हस्तक्षेप नहीं चाहिए।
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि अगर पारदर्शी राजनीतिक चंदा के लिए शुरू किए गए चुनावी बॉन्ड के क्रेताओं की पहचान नहीं है तो चुनावों में कालाधन पर अंकुश लगाने का सरकार का प्रयास ‘निरर्थक’ होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी दलों को बॉन्ड के बारे में जानकारी देनी होगी। सभी दलों को 15 मई तक मिले इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी सीलबंद लिफाफे में 30 मई तक चुनाव आयोग को सौंप देनी होगी। इस जानकारी में चंदा देने वालों का ब्यौरा भी देना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने एक एनजीओ की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया जिसने इस योजना की वैधता को चुनौती दी है और मांग की है कि या तो चुनावी बॉन्ड जारी किए जाने पर रोक लगा दी जाए या चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिये चंदा देने वालों के नाम सार्वजनिक किए जाएं।
केंद्र ने यह कहते हुए योजना का पुरजोर समर्थन किया कि इसके पीछे का उद्देश्य चुनावों में कालाधन के इस्तेमाल को खत्म करना है और न्यायालय से इस मौके पर हस्तक्षेप नहीं करने को कहा। केंद्र ने कोर्ट से कहा था कि वह चुनाव के बाद इस बात पर विचार करे कि इसने काम किया या नहीं।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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