नेशनल
भाजपा उम्मीदवार का हैरान कर देने वाला बयान, मर जाऊंगा लेकिन मोदी को नहीं….
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के पहले फेज की वोटिंग गुरुवार शाम संपन्न हो गई। 20 राज्यों की 91 सीटों पर हुई वोटिंग में लगभग 60 फीसदी लोगों ने अपने अधिकार का प्रयोग करते हुए मतदान किया।
इस लोकसभा चुनाव में जहां कांग्रेस पार्टी अपनी न्याय योजना से दोबारा सत्ता में आने की कोशिशें कर रही हैं वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राष्ट्रवाद को मुद्दा बनाकर वोट साधने का प्रयास कर रही है।
भाजपा के इस मेनिफेस्टो में नागरिकता बिल लागू कराने की बात कही गई है। इस बिल को लेकर भाजपा को पूर्वोत्तर के कई राज्यों में विरोध का सामना करना पड़ा है।
पूर्वोत्तर के लोगों के विरोध के बाद अब भाजपा के अंदर से ही बिल को लेकर विरोध के स्वर उठने लगे हैं। शिलांग संसदीय सीट से भाजपा उम्मीदवार सनबोर शुल्लई का एक ऐसा बयान सामने आया है जिसे सुनकर कई भाजपा नेता असहज हो सकते हैं।
शुल्लई ने गुरुवार को हैरान कर देने वाला बयान देते हुए कहा कि अगर मेघालय और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में नागरिक (संशोघन) बिल लागू किया जाता है तो वो आत्महत्या कर लेंगे।
मेघालय में हुए मतदान के बाद उन्होंने कहा, जब तक सनबोर शुल्लई जिंदा है, नागरिकता(संशोधन) बिल लागू नहीं होगा। समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार उन्होंने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने आत्महत्या कर लेंगे, लेकिन मेघालय और पूर्वोत्तर में इस विधेयक को लागू नहीं होने देंगे।
शुल्लई ने कहा कि उन्होंने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा के केंद्रीय नेताओं और एनजीओ को पत्र लिखकर कहा था कि मेघालय और पूर्वोत्तर राज्यों को नागरिकता(संशोधन) विधेयक से छूट दी जानी चाहिए। इस विधेयक को संशोधित किया जाना चाहिए।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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