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यूपी में 11 बजे तक 25 प्रतिशत से ज्यादा मतदान

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लखनऊ| उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के प्रथम चरण के मतदान के तहत आठ सीटों पर 11 बजे तक 25 प्रतिशत से ज्यादा मतदान हुआ है। मुजफ्फरनगर शहर कोतवाली क्षेत्र के गांव सुजड़ू के बूथ नंबर 225 पर फर्जी मतदान की सूचना पर हंगामा हुआ। सूचना पर मौके पर पहुंचे सांसद संजीव बालियान ने पीठासीन अधिकारी से महिलाओं के चेहरे देखने के लिए कहा, इसे लेकर लोगों ने हंगामा कर दिया। बाद में डीएम, एसएसपी और एडीएम व अन्य अधिकारियों ने मौके पर पहुंच कर मामला शांत किया।

शामली के हसनपुर लुहारी गांव के एक बूथ पर इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में गड़बड़ी के चलते मतदान आधे घंटे देरी से शुरू हुआ। झिझाना के जमालपुर मे ग्राम प्रधान ने पोलिंग बूथ को गुब्बारों से सजवाया है। वहीं कैराना के मुस्लिम बहुल बूथों पर मतदाताओं की भारी भीड़ नजर आ रही है।

मेरठ जिले में अब तक करीब 13 स्थानों पर ईवीएम मशीन देरी से चलने और तकनीकी खराबी की शिकायतें दर्ज की गई हैं। वहीं एडीजी प्रशांत कुमार मेरठ के लिसाड़ी गेट में श्यामनगर दक्षिण विधानसभा के बूथों का निरीक्षण करने पहुंचे। मेरठ में पल्लवपुरम स्थित हेरिटेज स्कूल में जिला पंचायत सदस्य मीनाक्षी भराला और सतेंद्र बराला ने मतदान किया। वहां करीब एक घंटे तक ईवीएम खराब होने के कारण मतदान बाधित रहा।

गौरतलब है कि पहले चरण में आठ लोकसभा सीटों के 10 जिलों पर गुरुवार को सुबह सात बजे से मतदान शुरू हो चुका है और शाम 6 बजे तक लोग अपना वोट डाल सकेंगे। इस चरण में कुल 96 प्रत्याशी मैदान में हैं, जिनमे 10 महिला प्रत्याशी हैं।

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पहले फेज के वोटर के बिगाड़ा मोदी का मूड

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। लोकसभा चुनाव 2024 के चुनाव का पहला चरण बीत गया। सात चरण में हो रहे चुनावों का ये सबसे बड़ा और पोलिटिकल पारटीस के लिए लिटमस टेस्ट वाला चरण था। उत्तर प्रदेश की 8 सीटें वो थी जिन पर 2019 में भाजपा का पसीना छूट गया था।

जिस दिन अयोध्या में मर्यादा पुरषोत्तम राम के भव्य राम मंदिर में प्रभु राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हुई और उसे देख जिस तरह का जन-ज्वार उठा उससे गदगद होकर प्रधानमंत्री पीएम मोदी ने भाजपा और सहयोगी दलों के लिए 18 वें लोकसभा के लिए टारगेट सेट कर दिया 400 सीटों का और नारा दे दिया ‘अबकी बार 400 पार’। दरअसल ये 400 का टारगेट मोदी ने यूं ही नहीं सेट कर दिया। इसके पीछे कहीं न कहीं बीजेपी का कान्फिडन्स और विपक्ष को मानसिक दवाब में घेरने की रणनीति नजर आती है।

शुरुआत में जिस तरह से इंडि गठबंधन बिखरा बिखरा दिखाई दे रहा था उसे देखकर बीजेपी का ये टारगेट कठिन भी नजर नहीं आ रहा था लेकिन जैसे जैसे कयामत की रात यानि मतदान की तारीख पास आती गई विपक्षियों को भी अपने अस्तित्व पर संकट नजर आने लगा और फिर मरता क्या न करता के मुहावरे पर अमल करते हुए सभी एक हो ही गए। दूसरी तरफ बीजेपी को 2014 और 2019 की तरह मोदी मैजिक और राम के नाम पर भरोसा था और उधर उसके वोटर के मन में अबकी बार 400 पार इतना गहरा बैठ गया था कि लगता है उसका वोटर भी घर में बैठ गया और जो मतदान प्रतिशत 2019 में करीब 69 प्रतिशत था वो करीब 60 प्रतिशत पर आकार टिक गया। यानि 9 फीसदी वोटर गर्मी में ac की हवा खा रहा था।

फिर क्या था इन्हीं 9 प्रतिशत मतदाताओं ने सत्तारूढ़ दल यानि मोदी के माथे पर चिंता की सिलवटें ला दी, लेकिन ऐसा नहीं है ये सिलवटें सिर्फ मोदी के माथे पर ही आईं हों ये लकीरें विपक्षी गठबंधन के नेताओं के माथे पर भी थीं और हो भी क्यूँ नहीं क्यूंकी evm खुलने के पहले कोई नहीं जनता कि जो वोटर घर में बैठा था वो आखिर कौन था। क्या वो सरकार से नाराज वो व्यक्ति था जिसे विपक्ष मतदान केंद्र तक लाने में सफल नहीं हो पाया या फिर ये वो आदमी था जिसे ये लग रहा था मैं वोट दूँ या न दूँ क्या फरक पड़ता है आएगा तो मोदी ही।

दरअसल उदासीनता की वजह को भी जानना जरूरी है-

2014 में बदलाव की लहर थी जनता भ्रष्टाचार की कहानियाँ सुनकर ऊब चुकी थी
2014 में मोदी पूरे देश के सामने गुजरात मॉडल लेकर आ रहे थे जिसे सोशल मीडिया के धुरंधरों ने हर फोन तक बखूबी पहुंचाया
2014 में मोदी ने जिस तरह देश को अपनी सभाओं से मथ के रख दिया उसका भी जनता पर काफी असर पड़ा
2019 में पुलवामा कांड ने राष्ट्रवाद को जगाया और 2014 में 282 सीट वाली बीजेपी 303 के आँकड़े पर पहुँच गई
लेकिन 2024 में न तो 2014 जैसे एंटी इन्कमबंसी जैसी लहर है और न 2019 जैसा राष्ट्रवाद जैसा जोश…

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