आध्यात्म
786 नंबर मुसलमानों का नहीं भगवान श्रीकृष्ण का है, रहस्य जानकर चौंक जाएंगे
नई दिल्ली। 786 नंबर को इस्लामिक नंबर माना जाता है। किसी गाड़ी पर अगर 786 लिखा दिख जाए तो लोगों को पता चल जाता है कि यह गाड़ी किसी मुस्लिम शख्स की है।
कई लोग इस नंबर को शुभ मानते हैं और अपने पास बहुत सहेज कर रखते हैं। लेकिन अगर आज हम आपको बताए कि 786 नंबर केवल इस्लाम धर्म के लोगों का ही नहीं बल्कि भगवान श्रीकृष्ण से भी जुड़ा है तो? रह गए न हैरान? आपको जानकर हैरानी होगी कि 786 नंबर का संबंध भगवान श्रीकृष्ण से भी है।
दरअसल, मुस्लिम धर्म के लोग 786 नंबर को बिस्मिल्लाह का रूप मानते हैं। कहा जाता है कि कहते हैं कि अरबी या उर्दू में ‘बिस्मिलाह-हिर रहमान-निर रहीम’ को लिखने पर उसका टोटल 786 आता है।
यही वजह है कि इस नंबर को इस्लाम सबसे पाक मानता है। 786 नंबर भगवान श्रीकृष्ण से भी जुड़ा है। पुराणों के अनुसार, श्रीकृष्ण के पास सात छिद्रों वाली बांसुरी थी जिसे वो छः उंगलियों से बजाया करते थे और वे देवकी के आठवे पुत्र थे। इन तीनों अंको का योग 786 आता है।
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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