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लोकसभा चुनावः मुकेश अंबानी से भी अमीर निकला ये उम्मीदवार, संपत्ति है 1 लाख 76 हजार करोड़!

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नई दिल्ली। चुनाव आयोग द्वारा लोकसभा चुनाव 2019 की घोषणा होने के बाद से पूरा देश चुनावी मोड में आ गया है। हर राजनीतिक दल सत्ता में आने के लिए एड़ीचोटी का जोर लगा रहा है।

आम चुनावों के मद्देनजर नेताओं द्वारा वोटर्स को रिझाने के लिए तरह-तरह के राजनीतिक हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। इन सबके के बीच आज हम आपको इस लोकसभा चुनाव से जुड़ी एक ऐसी बात बताने जा रहे हैं जिसे जानकर आपके होश उड़ जाएंगे।

2019 के लोकसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने के सभी उम्मीदवार नामांकन दाखिल कर रहे हैं। नामांकन में उम्मीदवारों को अपनी आय और संपत्ति से जुड़ी जानकारियां भी देनी होती है।

आय से जुड़ी ऐसी ही जानकारी तमिलनाडु की पेरंबूर सीट पर विधानसभा उपचुनाव में किस्मत आजमा रहे जे जेबमणि मोहनराज ने दी है जिसके बाद हर ओर उनकी ही चर्चा हो रही है।

उन्होंने अपने हलफनामे में जानकारी दी है कि उनके पास 1.76 लाख करोड़ रुपये नकदी है और उन पर चार लाख करोड़ रुपये बकाया है। ये बकाया वर्ल्ड बैंक का है।

खास बात यह है कि उनके इस हलफनामे को चुनाव आयोग ने भी स्वीकार कर लिया। चुनाव आयोग की ओर से उनको हरी मिर्च चुनाव चिन्ह के तौर पर आवंटित भी कर दिया गया।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जे जेबमणि मोहनराज ने 1.76 लाख करोड़ रुपये नकद और चार लाख करोड़ रुपये का कर्ज होने की जानबूझकर गलत घोषणा की है।

ये आंकड़े 2 जी स्पैक्ट्रम घोटाले और तमिलनाडु सरकार के कर्ज बोझ के अनुमानित मूल्य को व्यंग्यात्मक ढंग से दर्शाते हैं। मोहनराज से जब पूछा गया कि उन्होंने गलत घोषणा क्यों की तो उन्होंने आरोप लगाया कि 2जी घोटाले की जांच सही से नहीं हुई थी और इस पहलू की तरफ ध्यान दिलाने के लिए उन्होंने यह प्रयास किया था।

चुनाव आयोग द्वारा मोहनराज के इस हलफनामे को स्वीकार करने के बाद सवाल उठाने शुरू हो गए है कि चुनाव आयोग गलत जानकारी देने वाले हलफनामे को कैसे स्वीकार कर सकता है।

इस विवाद पर चुनाव आयोग का भी बयान सामने आया है। पूरे मामले पर चुनाव आयोग ने कहा कि उम्मीदवार निर्धारित प्रारूप में सभी दस्तावेज देता है।

कानून के तहत नामांकन पर निर्णय लेने का अधिकार रिटर्निंग ऑफिसर के पास होता है। उसे जानकारी की सत्यता में जाने की आवश्यकता भी नहीं होती है।

 

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नेशनल

सीएम बने रहेंगे केजरीवाल, कोर्ट ने पद से हटाने वाली याचिका की खारिज

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नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उनके पद से हटाने की मांग वाली जनहित याचिका हाई कोर्ट ने खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि ऐसी कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है कि अरविंद केजरीवाल अपने पद पर बने नहीं रह सकते हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि ये कार्यपालिका से जुड़ा मामला है। दिल्ली के उपराज्यपाल इस मामले को देखेंगे और फिर वह राष्ट्रपति को इस भेजेंगे। इस मामले में कोर्ट की कोई भूमिका नहीं है।

केजरीवाल को सीएम पद से हटाने के लिए याचिका दिल्ली के रहने वाले सुरजीत सिंह यादव ने दी है, जो खुद किसान और सामाजिक कार्यकर्ता बताते हैं। सुरजीत सिंह यादव का कहना था कि वित्तीय घोटाले के आरोपी मुख्यमंत्री को सार्वजनिक पद पर बने रहने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए। याचिकाकर्ता सुरजीत ने अपनी याचिका में कहा था कि केजरीवाल के पद पर बने रहने से न केवल कानून की उचित प्रक्रिया में दिक्कत आएगी, बल्कि न्याय प्रक्रिया भी बाधित होगी और राज्य में कांस्टीट्यूशनल सिस्टम भी ध्वस्त हो जाएगा।

याचिका में कहा गया था कि सीएम ने गिरफ्तार होने के कारण एक तरह से मुख्यमंत्री के रूप में अपना पद खो दिया है, चूंकि वह हिरासत में भी हैं, इसलिए उन्होंने एक लोक सेवक होने के कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को निभाने से खुद को अक्षम साबित कर लिया है, अब उन्हें इस मुख्यमंत्री पद पर नहीं बने रहना चाहिए।

 

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