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लोकसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी का बड़ा एलान, सत्ता में आए तो इतनी तारीख तक मिल जाएंगी नौकरियां

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नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव की तारीख नजदीक आते ही राजनीतिक दलों ने सत्ता पाने की महिम तेज कर दी है। इसी कड़ी में कांग्रेस मंगलवार को बड़ा दांव खेल सकती है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कांग्रेस का घोषणा पत्र तैयार किया जा चुका है जिसे मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा जारी कर दिया जाएगा।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केसी वेणुगोपाल ने सोमवार को बयान जारी कर इसकी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि राहुल गांधी दिल्ली स्थिति पार्टी कार्यालय में घोषणापत्र जारी करेंगे। माना जा रहा है कि 5 साल से सत्ता से बाहर कांग्रेस दोबारा वापसी करने के लिए अपने घोषणा पत्र में कई बड़े वादे कर सकती है।

पार्टी ने मेनिफेस्टो में रोजगार, पर्यावरण और शहरीकरण पर फोकस रहेगा। राहुल गांधी पहले ही न्यूनतम आय योजना (न्याय) की घोषणा कर चुके हैं।

वह बार बार कह रहे हैं कि कांग्रेस गरीबी के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक करेगी, हम भारत के लोगों को ‘न्याय’ देंगे। यह गरीबी के खिलाफ हमारा गैर-हिंसक हथियार है।

उनका कहना है कि 12,000 से कम की मासिक कमाई वाले 20 फीसदी सबसे गरीब लोगों को इस योजना का लाभ मिलेगा और हर साल उनके बैंक खातों में 72,000 रुपये दिए जाएंगे।

राहुल गांधी नोटबंदी की जांच योजना आयोग को बहाल करने आदि की घोषणा पहले कर चुके हैं. माना जा रहा है ये सभी बातें घोषणापत्र में शामिल हो सकती हैं.

आज तक की रिपोर्ट के मुताबिक राहुल गांधी ने वादा किया है कि अगर केंद्र में उनकी सरकार बनती है तो एक साल के अंदर 22 लाख सरकारी नौकरी दी जाएंगी।

उन्होंने अपने वादे के साथ इसे पूरा करने की बाकायदा तारीख भी बताई है। राहुल ने कहा है कि उनकी पार्टी सत्ता में आई तो अगले साल 31 मार्च तक 22 लाख सरकारी नौकरियों के पद भर दिए जाएंगे।

मोदी सरकार को रोजगार के मुद्दे पर घेरने वाले राहुल गांधी ने यह वादा लोकसभा चुनाव के लिए होने वाले पहले चरण के मतदान से दस दिन पहले किया है।

रविवार रात राहुल गांधी ने यह वादा एक ट्वीट के जरिए किया. राहुल ने अपने ट्वीट में लिखा है कि मौजूदा वक्त में करीब 22 लाख सरकारी नौकरियों के लिए पद खाली हैं। अगर उनकी पार्टी सत्ता में आई तो 31 मार्च 2020 तक इन सभी पदों को भरा जाएगा।

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दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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