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नेशनल

लोकसभा चुनाव 2019: EVM से नहीं बैलेट पेपर से होगी वोटिंग, वजह है चौंका देने वाली!

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नई दिल्ली। 11 अप्रैल को लोकसभा के प्रथम चरण के चुनाव से पहले देश पूरी तरह से चुनावी मोड में आ गया है। पहले चरण के मतदान होने में अब महज 12 दिनों का वक्त बचा है।

ऐसे में आज हम आपको एक ऐसी लोकसभा सीट के बारे में बताएंगे जहां इस बार वोट देने के लिए ईवीएम नहीं बल्कि बैलेट पेपर का इस्तेमाल किया जाएगा।

हम बात कर रहे हैं तेलंगाना की निजामाबाद सीट की। इस बार सीट पर और चुनाव से अलग माहौल है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस सीट पर बैलेट पेपर से वोट डाले जाएंगे।

दरअसल, निजामाबाद लोकसभा सीट पर कुल 185 उम्मीदवार हैं और यही कारण है कि चुनाव आयोग को यहां पर बैलेट पेपर से चुनाव करवाना पड़ रहा है।

क्योंकि अगर यहां पर ईवीएम और वीवीपैट का इस्तेमाल किया जाए तो हर बूथ पर 3-3 मशीनों का इस्तेमाल करना पड़ेगा। जो बेहद मुश्किल भरा होगा।

यही कारण है कि चुनाव आयोग ने तय किया है कि इस लोकसभा सीट पर बड़े बैलेट पेपर से मतदान हो, ताकि सभी उम्मीदवारों के नाम और तस्वीर आसानी से आ सके।

इसको लेकर चुनाव आयोग ने राज्य चुनाव आयोग को भी अवगत करा दिया और इस पर जरूरी तैयारियां करने को कहा है। आपको बता दें कि तेलंगाना की सभी सीटों पर 11 अप्रैल को ही मतदान होना है।

राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी यानी सीईओ के मुताबिक रिटर्निंग अफसर की ओर से फॉर्म 7A के जरिए भेजी जाने वाली उम्मीदवारों की अंतिम सूची आते ही बैलेट पेपर की छपाई का काम शुरू हो जाएगा।

इस बार बैलेट पेपर पर देवनागरी, अंग्रेजी और स्थानीय लिपि में उम्मीदवार के नाम, पार्टी और चुनाव चिन्ह के साथ-साथ पहली बार तस्वीर भी छपी होगी।

नेशनल

सीएम बने रहेंगे केजरीवाल, कोर्ट ने पद से हटाने वाली याचिका की खारिज

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नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उनके पद से हटाने की मांग वाली जनहित याचिका हाई कोर्ट ने खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि ऐसी कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है कि अरविंद केजरीवाल अपने पद पर बने नहीं रह सकते हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि ये कार्यपालिका से जुड़ा मामला है। दिल्ली के उपराज्यपाल इस मामले को देखेंगे और फिर वह राष्ट्रपति को इस भेजेंगे। इस मामले में कोर्ट की कोई भूमिका नहीं है।

केजरीवाल को सीएम पद से हटाने के लिए याचिका दिल्ली के रहने वाले सुरजीत सिंह यादव ने दी है, जो खुद किसान और सामाजिक कार्यकर्ता बताते हैं। सुरजीत सिंह यादव का कहना था कि वित्तीय घोटाले के आरोपी मुख्यमंत्री को सार्वजनिक पद पर बने रहने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए। याचिकाकर्ता सुरजीत ने अपनी याचिका में कहा था कि केजरीवाल के पद पर बने रहने से न केवल कानून की उचित प्रक्रिया में दिक्कत आएगी, बल्कि न्याय प्रक्रिया भी बाधित होगी और राज्य में कांस्टीट्यूशनल सिस्टम भी ध्वस्त हो जाएगा।

याचिका में कहा गया था कि सीएम ने गिरफ्तार होने के कारण एक तरह से मुख्यमंत्री के रूप में अपना पद खो दिया है, चूंकि वह हिरासत में भी हैं, इसलिए उन्होंने एक लोक सेवक होने के कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को निभाने से खुद को अक्षम साबित कर लिया है, अब उन्हें इस मुख्यमंत्री पद पर नहीं बने रहना चाहिए।

 

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