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होली में चेहरे के बचाव के लिए अपनाएं ये रामबाण तरीके, नहीं होगा रंगों से कोई नुकसान

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नई दिल्ली। होली सबको प्यारी है। सब इसके रंग में सराबोर होना चाहते हैं लेकिन इससे पहले अपनी त्वचा की सुरक्षा से जुड़े उपायों के बारे में जानना बहुत जरूरी है। होली के रंगों का कई बार त्वचा पर खराब असर होता है, खासकर चेहरे की त्वचा पर , जो कि काफी नाजुक होती है। ऐसे में किस तरह से अपनी त्वचा का ध्यान रखते हुए होली के हुड़दंग में शामिल हुआ जा सकता है। आइए जानते हैं ‘इंडियन ब्यूटी ब्लॉग शालिनी एट बी ब्यूटीलिशियस डॉटकॉम’ पर ब्लॉग लिखती आ रहीं मशहूर ब्लॉगर शालिनी श्रीवास्तव से।

शालिनी कहती हैं ऐसे में जब कि बाजार में रासायनिक रंगों कि भरमार है तो यह एहतियात और जरूरी हो जाती है। उन्होंने कहा कि यह आवश्यक है कि हम त्वचा की जलन का ख्याल रखें और साथ कुछ स्किनकेयर टिप्स को अपने दिमाग में सुरक्षित रखें।

बर्फ के टुकड़े रगड़ें

कुछ बर्फ के टुकड़े लें और उन्हें एक साफ सूती कपड़े में लपेटें। 10 से 15 मिनट के लिए उन्हें अपने चेहरे पर रगड़ें। यह सुनिश्चित करेगा कि आपके चेहरे पर जो छिद्र हैं वो बंद हैं और उन सभी से आपकी त्वचा में रासायनिक रंगों का प्रवेश नहीं होगा।

अपनी त्वचा और बालों पर तेल लगाएं

ऑइलिंग केवल आपके बालों तक सीमित नहीं होना चाहिए। आपकी त्वचा को रसायनों से भी बचाना होगा। सुनिश्चित करें कि आप अपनी पसंद के तेल के साथ अपने बालों को पूरी तरह से तेल लगाते हैं। आपकी त्वचा के लिए, 1 बड़ा चम्मच अरंडी का तेल, नारियल तेल और बादाम के तेल में मिला सकते हैं। अपनी त्वचा पर तेल के इस मिश्रण को एक मोटी परत के रूप मे लगायें जो एक बाधा के रूप में कार्य करेगा और आपकी त्वचा को रंगों से प्रभावित होने से बचाएगा।

सनस्क्रीन लगाना न भूलें –

सुनिश्चित करें कि आप घर से बाहर निकलने से पहले वाटरप्रूफ सनस्क्रीन अवश्य लगाएं । यह आपकी त्वचा को टैन होने से बचाएगा और साथ ही पानी और रंगों से भी रक्षा होगी ।

अपने नाखूनों को पेंट से कोट करें

यह बहुत संभव है कि आप रंगों से खेलते समय अपने नाखूनों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। उन्हें संरक्षित रखने के लिए, अपने नाखूनों पर नेल पेंट का एक मोटा कोट लगाएं और अपने क्यूटिकल्स को बचाने के लिए उन्हें नेल ऑयल से सील करें।

अपने होंठ, गर्दन और कान को सुरक्षित रखें

अपने होंठ सुरक्षित रखने के लिए आपको अपने होंठों पर पेट्रोलियम जेली या वैसलीन की एक मोटी परत लगाना नहीं भूलना चाहिए। इसके अलावा, आपके कान और गर्दन को भी सुरक्षित करने की आवश्यकता है, इसलिए सुनिश्चित करें कि आप उन्हें भी कोट करते हैं। यह हानिकारक रसायनों को आपके होंठ, गर्दन और कान को प्रभावित नहीं करने देगा।

शालिनी श्रीवास्तव कहती हैं होली के दिन रंगों से सराबोर होने के बाद भी त्वचा का ख्याल रखना उतना ही जरूरी है, जितना कि होली खेलने से पहले। इसके लिए कुछ जरूरी टिप्स इस प्रकार हैं :

साबुन और फेस वाश से बचें

अपने चेहरे को रसायन से भरी हुई साबुन और फेस वॉश से न धोने की कोशिश करें क्योंकि वे आपके चेहरे पर मौजूद प्राकृतिक तैलीय तत्वों को नुक्सान पहुंचा सकते हैं और आपकी त्वचा रूखि हो सकती है । उन उत्पादों को साफ करने का विकल्प चुनें जो अधिक कार्बनिक और हर्बल हैं क्योंकि वें आपकी त्वचा को नुकसान नहीं पहुँचाते हैं।

प्राकृतिक फेस पैक और मास्क चुनें

दही और बेसन, चंदन, गुलाब जल, और हल्दी जैसे प्राकृतिक सामग्री का उपयोग फेस पैक बनाने के लिए करें। यह आपकी त्वचा को शांत करेगा और आपकी त्वचा के प्राकृतिक संतुलन को बहाल करेगा।

तेल का उपयोग करके रंग निकाले

जिद्दी रंग हमारी त्वचा पर एक बुरा दाग छोड़ते हैं। थोड़ी सी रूयी पर जैतून का तेल लेकर धीरे धीरे त्वचा से रंगों को हटाएँ । यह आपकी त्वचा को मॉइस्चराइज करेगा और साथ ही साथ सभी रंगों को प्रभावी रूप से हटाएगा।

अपने चेहरे को मॉइस्चराइज करें

बिस्तर पर जाने से पहले, सुनिश्चित करें कि आप एक मॉइस्चराइजर का उपयोग करें जो आपकी त्वचा पर हल्का और कोमल हो। यह पर्याप्त नमी प्रदान करेगा जब आप सोते हैं और आपकी त्वचा को मॉइस्चराइज रखते हैं। आप स्वस्थ चमकते चेहरे के साथ जागेंगे!

खूब पानी पिएं और जगमगाती हुई त्वचा पाएं

आप जितना पानी पिएंगे आपकी त्वचा पर उतना निखार आएगा होली के बाद यह और भी आवश्यक है क्योंकि यह आपकी त्वचा को हाइड्रेट रखेगा

इनपुट-आईएनएस

नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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