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अयोध्या विवाद: ये तीन दिग्गज सुझलाएंगे राम मंदिर का मामला, जानिए इनके बारे में सबकुछ!
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार की सुबह राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद मामले पर सुनवाई करते हुए अहम फैसला लिया है। उच्चतम न्यायालय ने इस मामले को अब मध्यस्थता पैनल के पास भेज दिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कोर्ट मध्यस्थों को चार हफ्तों के अंदर मध्यस्थता की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया है। साथ ही आठ हफ्तों के अंदर पूरी रिपोर्ट मांगी है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाए गए मध्यस्थता पैनम में तीन लोगों को शामिल किया गया है। इस पैनल का नेतृत्व सेवा निवृत्त जस्टिस कलीफुल्लाह करेंगे। उनके अलावा इस पैनल में श्री श्री रविशंकर और श्रीराम पंचु होंगे।
जस्टिस कलीफुल्ला
सेवानिवृत्त जस्टिस कलीफुल्ला का पूरा नाम फकीर मोहम्मद कलीफुल्ला है। उनका जन्म 23 जुलाई 1951 को तमिलनाडु के शिवगंगा जिले में हुआ था। उन्होंने 20 अगस्त, 1975 को वकील के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की थी।
2 मार्च 2000 को उन्हें मद्रास उच्च न्यायालय का जज नियुक्त किया गया था। फरवरी 2011 को वह जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के सदस्य बने थे और और दो महीने बाद उनकी नियुक्ति कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के तौर पर हुई थी।
सितंबर 2011 को उन्हें जम्मू-कश्मीर का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया। 2 अप्रैल 2012 को उन्हें उचच्तम न्यायालय में नामित किया गया। वह 22 जुलाई 2016 को सर्वोच्च न्यायालय से सेवानिवृत्त हुए हैं।
श्री श्री रविशंकर
श्री श्री रविशंकर का जन्म 13 मई 1956 को हुआ था। पेशे से वह आध्यात्मिक गुरू है। उनकी संस्था का नाम आर्ट ऑफ लिविंग है। जिसकी स्थापना उन्होंने 1981 में की थी।
केवल चार साल की उम्र में रविशंकर श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोकों का पाठ किया करते थे। वह वेद विज्ञान विद्यापीठ, श्री श्री सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज, श्री श्री कालेज और आयुर्वेदिक साइंस एंड रिसर्च, श्री श्री मोबाइल एग्रीकल्चरल इनिसिएटीव्स और श्री श्री रूरल डेवलेपमेंट ट्रस्ट चलाते हैं। उन्हें भारत सरकार की ओर से 2016 में पद्मविभूषण भी मिल चुका है।
श्रीराम पंचु
श्रीराम पंचु एक वरिष्ठ वकील हैं और कई मामलों में मध्यस्थता की भूमिका निभा चुके हैं। वह मध्यस्थता चेंबर के संस्थापक हैं जो किसी मामले में मध्यस्थता की सेवा प्रदान करते हैं।
वह एसोसिएशन ऑफ इंडियन मीडिएटर के अध्यक्ष और इंटरनेशनल मीडिएशन इंस्टीट्यूट के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के सदस्य हैं। उन्होंने 2005 में भारत का पहला अदालत द्वारा मध्यस्थता केंद्र स्थापित किया था और मध्यस्थता को भारत की कानूनी प्रणाली का हिस्सा बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
उन्होंने भारत के विभिन्न हिस्सों में वाणिज्यिक, कॉर्पोरेट और अनुबंध संबंधी कई बड़े और पेचीदा मामलों में मध्यस्थता की भूमिका निभाई है।
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प्रियंका गांधी ने सहारनपुर में किया रोड शो, कहा- मोदी सत्ता को पूजते हैं सत्य को नहीं
सहारनपुर। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने 2024 लोकसभा चुनाव के तहत सहारनपुर में रोड शो किया। इस दौरान उन्होंने पीएम मोदी और बीजेपी पर जमकर निशाना साधा। प्रियंका ने कहा कि इस देश ने सत्ता को नहीं सत्य को पूजा है और मोदी सत्ता को पूजते हैं सत्य को नहीं। रोड शो के दौरान प्रियंका गांधी ने रामनवमी पर कहा कि भगवान राम ने भी सत्य की लड़ाई लड़ी थी। जब उनके सामने रावण युद्ध करने के लिए आया तो सारी शक्ति रावण के पास थी, लेकिन भगवान राम ने नौ व्रत रखकर सारी शक्ति अपने पास ले ली थी। इसके बाद रावण से युद्ध किया और सत्य की जीत हुई।
यह रोड शो कांग्रेस के लोकसभा उम्मीदवार इमरान मसूद के समर्थन में आयोजित किया गया था। प्रियंका गांधी ने कहा कि मैं हर जगह यही कह रही हूं कि ये चुनाव जनता का होना चाहिए, जनता के मुद्दों पर होना चाहिए। मोदी जी और बीजेपी के नेता बेरोजगारी, महंगाई, किसानों, महिलाओं की बात नहीं कर रहे हैं। जो असली समस्याएं महिलाओं-किसानों की है, उनके बारे में बात ही नहीं हो रही है। बात इधर उधर की ध्यान भटकाने की हो रही है। उन्होंने आगे कहा कि जो सत्ता में बैठे हैं, वह माता शक्ति और सत्य के उपासक नहीं हैं, ‘सत्ता’ के उपासक हैं। वो सत्ता के लिए किसी भी हद तक गिर जाएंगे। सत्ता के लिए सरकारें गिरा देंगे, विधायकों को खरीदेंगे, अमीरों को देश की संपत्ति दे देंगे। यह हमारे देश की परंपरा नहीं है। भगवान श्रीराम ‘सत्ता’ के लिए नहीं, ‘सत्य’ के लिए लड़े। इसलिए हम उनकी पूजा करते हैं। आज रामनवमी का शुभ दिन है, इसलिए मैं बहुत खुश हूं। वाल्मीकि रामायण में लिखा है कि जब भगवान राम युद्ध भूमि में उतरे तो देखा कि माता की शक्तियां रावण के पास थीं। जिसके बाद उन्होंने नौ दिनों तक माता की आराधना की और 108 नील कमल मां के चरणों में अर्पण किए।
उन्होंने कहा कि जिसके बाद माता ने उनकी परीक्षा लेने को सोची और 108वां कमल छिपा दिया। लेकिन, भगवान राम के पास श्रद्धा की शक्ति थी, उन्हें याद आया कि उनकी मां उन्हें बचपन में ‘राजीव लोचन’ कहती थीं। यह बात याद आते ही भगवान राम अपने नयन निकालने ही जा रहे थे, तभी माता ने उन्हें रोकते हुए कहा कि मैं तुम्हारी श्रद्धा से प्रसन्न हुई। मेरी शक्ति तुम्हारे साथ है। हम भगवान राम को इसलिए पूजते हैं, क्योंकि उन्होंने सच्ची श्रद्धा के साथ यह लड़ाई लड़ी और जनता को सर्वोपरि रखा। जनता पर अन्याय करने वाली भाजपा की विदाई तय है।
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