नेशनल
अगर भारत-पाकिस्तान में युद्ध हुआ तो सिर्फ इतने मिनट तक टिक सकेगी पाक सेना!
नई दिल्ली। पुलवामा हमले के 12 दिन बाद भारतीय वायुसेना ने आखिरकार शहीद जवानों का बदला ले लिया। मंगलवार तड़के 3.53 बजे भारत के चार मिराज-2000 विमानों ने पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के सबसे पुराने और महत्वपूर्ण ठिकाने को पूरी तरह नेस्तनाबूद कर दिया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस कार्रवाई में 300 से ज्यादा आतंकवादी ढेर हो गए। वायुसेना के इस ऑपरेशन के बाद पाकिस्तान ने भी जवाबी कार्रवाई की धमकी दी है। आज हम आपको बताएंगे कि अगर दोनों देशों के बीच युद्ध की स्थिति बनती है तो पाकिस्तान भारत के सामने कितने मिनट तक टिकेगा।
थल सेना
इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज (IISS) के मुताबिक भारत के पास 14 लाख सैनिक हैं। साथ ही भारत के पास 3563 युद्ध टैंक, 3100 इन्फैंट्री लड़ाकू वाहन, 336 सशस्त्र पर्सनल कैरियर्स और 9719 तोप थल सेना को और भी ज्यादा मजबूत बनाती हैं।
वहीं अगर पाकिस्तान की आर्मी की बात करें तो पाक सेना के पास केवल 5.6 लाख सैनिक हैं, जिनके पास 2496 टैंक, 1605 सशस्त्र पर्सनल कैरियर्स, 4,472 तोप हैं।
मिसाइल्स ताकत
भारत के पास 9 तरह के ऑपरेशनल मिसाइल्स हैं, जिसमें अग्नि-3 (3000-5000 किमी रेंज वाली) भी शामिल है। भारत के पास ब्रह्मोस की मजबूत ताकत है, इसे पनडुब्बी, पानी के जहाज, विमान या जमीन से भी कभी छोड़ा जा सकता है।
Center for Strategic and International Studies (CSIS) के मुताबिक चीन की मदद से पाकिस्तान के मिसाइल प्रोग्राम में छोटी और मध्यम दूरी के जो हथियार हैं। शाहीन-2 पाकिस्तान की सबसे ज्यादा रेंज 2000 किलोमीटर वाली मिसाइल है।
वायु सेना
हवा में पाकिस्तान के मुकाबले भारत बहुत अधिक मजबूत है. भारत के पास 814 कॉम्बैट एयरक्राफ्ट हैं. भारत की वायु सेना का संख्या बल (127,200) काफी मजबूत है। लेकिन फाइटर जेट को लेकर चिंता हो सकती है. अधिकारियों के मुताबिक 2032 तक भारत के पास 22 स्क्वैड्रन्स होंगे।
IISS के आंकड़ों के मुताबिक पाकिस्तान के पास 425 कॉम्बैट एयरक्राफ्ट हैं, यानी भारत के मुकाबले आधे एयरक्राफ्ट हैं. जिसमें चीनी F-7PG और अमेरिकी F-16 फाइटिंग फैल्कन जेट्स भी शामिल हैं।
नेवी की ताकत
भारत के पास पानी में भी पाकिस्तान को पछाड़ने की पूरी ताकत है। भारतीय नेवी के पास एक एयरक्राफ्ट कैरियर, 16 सबमरीन्स, 13 फ्रिगेट्स, 106 पैट्रोल और कोस्टल कॉम्बैट जहाज हैं। नेवी के पास 67,700 जवानों का दस्ता है, जिसमें मरीन्स और नेवल एविएशन स्टाफ भी शामिल है।
वहीं पाकिस्तान की समुद्री सीमा छोटी है और इसके पास केवल 9 फ्रिगेट्स, 8 सबमरीन्स, 17 पेट्रोल और कोस्टल जहाज हैं।
परमाणु ताकत
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंसीट्यूट (SIPRI) के मुताबिक पाकिस्तान के पास 140 से 150 परमाणु बम हैं, जबकि भारत के पास 130-140 परमाणु बम हैं।
भारत और पाकिस्तान की सैन्य ताकतों में बड़े अंतर से यह कहा जा सकता है कि अगर दोनों देशों के बीच अगर युद्ध की स्थिति बनती है तो पाकिस्तान सिर्फ कुछ घंटो तक ही भारत की सैन्य ताकत के सामने टिक पाएगा।
नेशनल
दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!
सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ
लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।
26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।
इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।
इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।
इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान
असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।
दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।
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