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प्रादेशिक

पिता के सामने होता रहा बेटी का गैंगरेप, लेकिन वो मजबूर होकर देखते रह गए

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गैंगरेप

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बिहार से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है जहां हैवानियत की हद ही पार कर दी गई। इस गांव मेें एक पिता को बंदी बनाकर गांव के ही 6 दरिंदों ने गैंगरेप कर दिया है।

दरिंदों के हौंसले इतने बुलंद थे की उन्होंने पिता को धमकी दिया की अगर किसी को बताया तो जान से मार दिया जाएगा। पीडिता ने बताया कि गांव के ही 6  युवकों ने देर रात दरवाजा खटखटाया और पीने के लिए पानी मांगा।

प‍िता ने सोचा क‍ि शायद कोई प्यासा बाहर खड़ा है। उसने दरवाजा खोला तो बाहर उसी के गांव के 6 युवक खड़े थे। इसके बाद सभी ने उन्हें बंधक बना लिया।

आगे पूरी वारदात बताते हुए पिता ने कहा क‍ि बंधक बनाकर वे मुझे और मेरी बेटी को आधा किलोमीटर दूर ले गए और मेरे सामने ही बेटी के साथ सभी ने दुष्कर्म किया। इसके बाद दरिंदों ने धमकी दी कि अगर किसी को जानकारी दी तो जान से मार देंगे। घटना के बाद मेरी बेटी ने ही मेरे हाथों में बंधी रस्सी खोली और फ‍िर हम घर लौटे।

उत्तर प्रदेश

वरिष्ठ आईएएस दीपक कुमार बने यूपी के नए अपर मुख्य सचिव गृह

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लखनऊ। वरिष्ठ आईएएस अधिकारी दीपक कुमार यूपी के नए अपर मुख्य सचिव गृह बनाए गए हैं। चुनाव आयोग ने उनके नाम पर मुहर लगा दी है। गौरतलब है कि भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने छह राज्यों- गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में गृह सचिव को हटाने के आदेश जारी किए थे। साथ ही मिजोरम और हिमाचल प्रदेश में सामान्य प्रशासनिक विभाग के सचिव को भी हटा दिया गया था।

चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक (DGP) को हटाने के लिए भी आवश्यक कार्रवाई की थी। इलेक्शन कमीशन ने बृहन्मुंबई नगर आयुक्त इकबाल सिंह चहल और अतिरिक्त आयुक्तों और उपायुक्तों को भी हटा दिया था। आयोग ने सचिव जीएडी मिजोरम और हिमाचल प्रदेश को भी हटा दिया था, जो संबंधित सीएम कार्यालय में प्रभार संभाल रहे थे।

इन सात राज्यों में जिन अधिकारियों को हटाया गया है, उनके पास संबंधित राज्यों में मुख्यमंत्री के कार्यालय में दोहरे प्रभार थे, जो चुनावी प्रक्रिया के दौरान जरूरी निष्पक्षता, खासकर कानून व्यवस्था सुरक्षा बलों की तैनाती को लेकर भी समझौता कर सकते थे। चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल के डीजीपी को 2016 में सूबे के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी सक्रिय चुनाव ड्यूटी से हटा दिया था। महाराष्ट्र ने कुछ नगर आयुक्त और कुछ अतिरिक्त/उप नगर आयुक्त के संबंध में चुनाव आयोग के निर्देश नहीं माने थे, जिन्हें 16 मार्च को लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के वक्त बताया गया था।

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