Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

आध्यात्म

लोगोें के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा है प्रयागराज कुंभ का यह भजन, आप भी सुनें

Published

on

Loading

प्रयागराज में चल रहे कुंभ मेले में लोग मोक्ष प्राप्ति के लिए डुबकी लगाने दूर-दूर से पहुंच रहे हैं। 6 साल बाद हो रहे इस भव्य आयोजन में नए-नए भजन भी लोगों तो खूब पसंद आ रहे हैं। ऐसा ही एक भजन आए कैलासा भक्तों को खूब पसंद आ रहा है। आपको बता दें कि यह अब तक कुंभ के ऊपर आए सभी भजनों में सबसे बड़ा प्रयास है।

इस भजन को दक्षिणेश्वर काली पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर कैलाशानन्द ब्रम्हचारी जी व कॉस्मिक रिवाइवल के प्रणेता अंतराष्ट्रीय कॉस्मिक हीलर डॉ. अजय मगन द्वारा प्रोड्यूस किया गया है। भजन को बॉलीवुड के संगीतकार दुष्यन्त सिंह ने अपने संगीत दिया है जबकि फिल्म इंडस्ट्री के मशहूर सिंगर उदित नारायण और मेनका मिश्रा ने इस भजन को अपने सुरों से सजाया है। आए कैलासा भजन के बोल को डॉ. रितु सिंह ने लिखे हैं जबकि इस एल्बम का निर्देशक दुष्यन्त सिंह ने किया है।

आए कैलासा भजन एल्बन की शूटिंग हरिद्वार, प्रयागराज और मुंबई की लोकेशनों पर किया गया है। भजन के बारे में महामण्डलेश्वर कैलाशानन्द ब्रम्हचारी जी ने यह आशा व्यक्त की है कि यह भजन भारत एवं विश्व के न केवल हिन्दू समुदाय बल्कि सभी लोगों को पसन्द आयेगा साथ ही यह भजन कुम्भ के प्रचार प्रसार में भी मील का पत्थर साबित होगा वहीं अंतराष्ट्रीय कॉस्मिक हीलर डॉ. अजय मगन इस भजन को लेकर बहुत उत्साहित हैं।

उन्होंने इसे महाराज जी की प्रेरणा बताया है। पद्मभूषण श्री उदित नारायण ने इस भजन को गाते वक्त इसकी रचना एवं शब्दों की तारीफ करते हुए इसे भारत की जनता को समर्पित किया। संगीतकार व निर्देशक दुष्यन्त सिंह के अनुसार यह भजन महाराज जी की प्रेरणा से बातों ही बातों में तैयार हो गया व इस भजन को उदित जी व मेनका मिश्रा ने अपनी आवाज़ से एक नया आयाम दिया।

पार्श्वगायिका मेनका मिश्रा ने कहा कि क्योंकि वे प्रयागराज में रहती हैं इसलिए इस भजन को बॉलीवुड के दिग्गजों के साथ गाना उनके लिए सम्मान और गर्व की बात है। इस भजन के माध्यम से वह प्रयागराज का प्रतिनिधित्व कर सकीं इसलिए ये पल उनके लिए अविस्मरणीय है।

दुष्यन्त सिंह के बताया कि यह भजन यू ट्यूब पर उपलब्ध है। उपरोक्त भजन में रिकॉर्डिंग व शूटिंग के दौरान अत्याधुनिक तकनीक व उपकरणों का प्रयोग किया गया है ताकि अंतर्राष्ट्रीय प्लेटफॉर्म पर यह भजन अपनी छाप छोड़े। दुष्यन्त सिंह के अनुसार इस भजन के प्रचार प्रसार के लिए निजी तौर पर पूरे प्रयास किये जाएंगे ताकि यह भजन लोगों तक आसानी से पहुंच बना सके।

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

Published

on

Loading

नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

Continue Reading

Trending