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नेशनल

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की फिर बिगड़ी तबीयत, नहीं करेंगे रैली

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मंगलवार को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की तबीयतख़राब होने के कारण वो नई दिल्ली लौट आएं। उनका पश्चिम बंगाल के झारग्राम की रैली में शामिल होने की
संभावना नहीं है। इस बात की जानकारी भाजपा के नेताओं ने दी। भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा – ‘अमित शाह बहुत बीमार हैं। उन्हें तेज बुखार है।’

गौरतलब है कि स्वाइन फ्लू होने के के बाद अस्पताल में उनका इलाज हुआ था। कुछ दिन पहले ही उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिली थी।

घोष ने कहा कि मंगलवार को शाह नई दिल्ली लौटेंगे, क्योंकि उनके डॉक्टरों ने उन्हें सलाह दी है कि वे खराब सेहत के कारण किसी रैली में हिस्सा नहीं लें। उन्होंने
कहा, यदि कल (बुधवार) उनकी तबीयत ठीक रहती है तो वह कल झारग्राम में रैली को संबोधित करेंगे।’

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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