आध्यात्म
चंद्रग्रहण 2019: भूलकर भी न करें ये काम वरना किसी भी समय हो सकती है…
नई दिल्ली। 2019 का सबसे पहला चंद्र ग्रहण आज यानि 21 जनवरी को लगने वाला है। इस साल दो बार चंद्रग्रहण लगेगा। आज के बाद दूसरा चंद्रग्रहण 16 जुलाई को लगेगा। यह चंद्रग्रहण कुल 3 घंटे 30 मिनट तक रहेगा। आज हम आपको साल के पहले चंद्रग्रहण के मौके ऐसी बात बताने जा रहे हैं जिससे आप इस ग्रहण के बुरे प्रभाव से बच सकते हैं।
सुपर चंद्र ग्रहण का समय-
21 जनवरी सोमवार ग्रहण आरम्भ- सुबह 9 बजकर 4 मिनट.
ग्रहण मध्य- परम ग्रास- सुबह 10 बजकर 42 मिनट.
ग्रहण स्पर्श समाप्त- सुबह 11 बजकर 13 मिनट.
ग्रहण समाप्त- दोपहर 12 बजकर 21 मिनट.
आइए जानते हैं चंद्र ग्रहण के दौरान कौन-कौन से काम नहीं करने चाहिए-
- ग्रहण के दौरान देव पूजा को निषिद्ध माना जाता है। यही कारण है कि ग्रहण लगने पर मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।
- चंद्र ग्रहण के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।
- चंद्र ग्रहण के दौरान प्रकृति ज्यादा संवेदनशील हो जाती है। यही कारण है कि इस दौरान पेड़, पौधों और पत्तों को तोड़ना नहीं चाहिए।
- ज्योतिषीय धारणा के मुताबिक, चंद्र ग्रहण के दौरान नाखून और बाल काटने को अशुभ माना जाता है।
- चंद्र ग्रहण के दौरान खाना बनाने और खाने से बचना चाहिए।
- ग्रहण के बाद स्नान करने के बाद साफ और पवित्र कपड़े पहनने चाहिए।
- धार्मिक मान्यता के अनुसार, ग्रहण के दौरान किसी भी गरीब या असहाय व्यक्ति का अपमान नहीं करना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से शनि देव नाराज हो जाते हैं।
- चंद्र ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को ग्रहण की छाया से दूर रहना चाहिए. मान्यता है कि ग्रहण की छाया गर्भ में पल रहे शिशु को नुकसान पहुंचा सकती है।
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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