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प्रादेशिक

सही उम्र में कर लें शादी वरना हो सकती है ये गंभीर समस्या!

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लखनऊ। अजंता होप सोसाइटी ऑफ ह्यूमन रिप्रोडक्‍शन एंड रिसर्च (AHHR) के तत्वाधान में आज यहां होटल क्‍लार्क्‍स अवध में एक सतत चिकित्‍सा शिक्षा (CME) का आयो‍जन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्धाटन संयुक्ता भाटिया व इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (IMS) के निदेशक प्रो दीपक मालवीय ने किया। इस कार्यक्रम में बताया गया की शादी सही उम्र मेें कर लेनी चाहिए और बच्चे की प्लानिंग भी सही उम्र में कर लें वरना हो सकती है बांझपन की शिकायत।
कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंची अजंता हॉस्पिटल एंड आईवीएफ सेंटर (IVF) की जानी-मानी आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ गीता खन्‍ना ने कहा बढ़ती उम्र संतान प्राप्ति में एक बड़ी बाधा बन सकती है अतएव सही समय पर परिवार पूरा करें वर्ना अंडाशय की सक्रियता का कमजोर होना इलाज में भी एक चुनौती बन जाता है।
उन्होंने बताया कि संतान उत्पन्न करने वाले अंडे को तैयार करने के लिए बांझपन के विशेषज्ञ स्त्री को हार्मोन्स दवायें देते हैं। इन दवाओं का सभी महिलाओं पर एक जैसा असर नहीं आता है, जो एक चिंता का विषय है। कौनसी हार्मोनल दवा का किस महिला पर क्या असर पड़ता है ये एक बड़ी चुनौती भी है।

इस विषय पर चर्चा करने के लिए पीजीआई, लोहिया अस्पताल, कमांड अस्पताल और केजीएमयू के डॉक्टर भी शामिल रहे। वहीं, दिल्ली के विभिन्न विशेषज्ञ जैसे- प्रोफेसर सुधा प्रसाद, डॉ गौरी देवी, डॉ पंकज तलवार, डॉ रूपाली बस्सी और मणिपाल के प्रोफेसर प्रताप कुमार ने इस मुद्दे पर चर्चा की। साथ ही लखनऊ और आसपास के करीब 250 प्रसूति एवं महिला रोग विशेषज्ञ भी मौजूद रहे और अपनी बात रखी।
इसके अलांवा संजय गांधी पीजीआई, लोहिया संस्थान, कमांड हॉस्पिटल और केजीएमयू जैसे संस्थानों के प्रतिष्ठित विशेषज्ञ उपस्थित रहे। गीता खन्ना ने बताया कि सीएमई में शामिल सभी विशेषज्ञों ने सलाह दी कि सही उम्र में शादी करें और परिवार को पूरा करने की जिम्मेदारी निभाना न भूलें। ऐसा न हो कि अंडाशय की सक्रियता समाप्त हो जाये क्योंकि स्त्री के शरीर में कुदरती रूप से एक निश्चित संख्या में ही अंडे मिले हैं, जो कि बढ़ती उम्र के साथ समाप्त हो जाएंगे।
कार्यक्रम में मौजूद विशेषज्ञों ने युवा जोड़ों को सलाह देते हुए कहा कि इस बात का घ्यान रखें यदि उनकी गर्भधारण करने की 12 माह की कोशिश के बाद भी गर्भधारण न हो पाये तो उन्हें बांझपन विशेषज्ञ से सम्पर्क करना चाहिए। साथ ही ये भी कहा कि यदि विवाहित जोड़ों की उम्र 35 वर्ष से अधिक है तो वो अपनी जीवन शैली और मोटापे पर नियंत्रण रखे हैं। इसके बाद छह माह तक गर्भधारण की कोशिश सफल न होने की स्थिति में भी जोड़ों को बांझपन विशेषज्ञ से मिलना चाहिये।
विशेषज्ञों ने जानकारी देते हुए कहा कि अंडाशय के विफल होने की दो स्टेज होती हैं। यह प्रारंभिक जीवन में विफल हो सकता है, जिसे प्री मेच्योर ओवेरियन फेल्योर कहा जाता है। दूसरी स्टेज होती है जिसे रजोनिवृत्ति कहा जाता है। अंडाशय केवल 35 साल की उम्र के बाद ही नहीं बल्कि उससे पहले भी अपनी सक्रियता खो सकते हैं जिसे प्रीमैच्योर मेनोपॉज भी कहते हैं। इसलिए बच्चे की प्लानिंग 30 की उम्र तक कर लेनी चाहिए।

आगे विशेषज्ञों ने बताया कि एएमएच और एएफसी जैसे विभिन्न मार्करों से ओवेरियन रिजर्व के बारे में जाना जाता है। लेकिन कुछ महिलाओं की अनपेक्षित कमजोर प्रतिक्रिया (poor ovarian response) के कारणों का इससे पता नहीं चलता है।
इसके कारणों के बारे में उन्होंने बताया कि ऑपरेशन ऑफ ओवेरियन सिस्ट्स और एंडोमेट्रियोसिस, मधुमेह, धूम्रपान करने वालों, थैलेसीमिया, गुणसूत्र दोष, कुछ संक्रमणों, पोस्ट कीमो रेडियोथेरेपी, मोटापा, जीवन शैली और देर से विवाह पाया गया है।

इसके बाद में प्रतिनिधियों और विशेषज्ञों के साथ खराब अंडाशय प्रतिक्रिया के लिए नवीनतम रणनीतियों पर सत्र के अंत में एक पैनल चर्चा हुई।

उत्तर प्रदेश

रामनवमी पर भगवान सूर्य ने किया रामलला के ललाट पर ‘सूर्य तिलक’

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अयोध्या। देशभर में आज रामनवी का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस बार रामनवमी के मौके पर अयोध्या में खास आयोजन किया जा रहा है। 500 साल बाद अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम का सूर्य तिलक किया गया।

वैज्ञानिक दर्पण के जरिए सूर्य की किरण को भगवान रामलला के मस्तक पर पहुंचाया गया। इस दौरान सूर्य की किरणों ने लगभग 4 मिनट तक रामलला के ललाट की शोभा बढ़ाई। शंखों की ध्वनि, मंत्रोच्चारण और पुजारियों की मौजूदगी में सूर्य तिलक के अवसर को और भी शानदार बना दिया। दूसरी ओर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि श्री रामनवमी की पावन बेला में आज, श्री राम जन्मभूमि मंदिर में प्रभु श्री रामलला सरकार का दिव्य अभिषेक किया गया।

भगवान राम के सूर्याभिषेक के बाद लोगों ने दिव्य दर्शन किए। अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के बाद रामलला की ये पहली रामनवमी है। अयोध्या में रामनवमी की अद्भुत और विह्गम छटा दिखने को मिल रही है। इस दौरान रामलला की विशेष पूजा-अर्चना हुई। इस मौके पर राम मंदिर को फूलों और लाइटिंग से सजाया गया है। राम मंदिर के कपाट भक्तों के लिए सुबह 3.30 बजे खोल दिए गए हैं। यहां पर रात 11 बजे तक भक्त रामलला के दर्शन कर सकेंगे। यहां पर मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लग गया। दोपहर 12.16 बजे रामलला का सूर्यतिलक के भव्य दर्शन हुए।

इससे पहले श्रीराम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने जानकारी दी थी कि सूर्य के तिलक का सफल परीक्षण पूरा कर लिया गया है। वैज्ञानिकों ने जिस तरह से प्रयास किया है, वह बहुत सराहनीय और वह बहुत अद्भुत है, क्योंकि सूर्य की किरणें भगवान रामलला के ठीक ललाट पर पड़ी है। जैसे ही सूर्य की किरणें प्रभु राम के माथे पर पड़ी, वैसे ही पता चल रहा है कि भगवान सूर्य उदय कर रहे हैं।

उन्होंने आगे कहा था कि इतना ही नहीं, त्रेता युग में भी जब प्रभु राम ने अवतार लिया था तो उस दौरान सूर्य देव एक महीने तक अयोध्या में रुके थे। त्रेता युग का वह दृश्य अब कलयुग में भी साकार हो रहा है। जब हम प्रभु राम का आरती उतार रहे थे और सूर्य देव उनके माथे पर राजतिलक कर रहे थे तो वह दृश्य बहुत अद्भुत दिख रहा था।

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