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मध्य प्रदेश में हार के बाद बीजेपी ने दी शिवराज को कड़ी सजा, जानकर चौंक जाएंगे आप!

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नई दिल्ली। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की हार के बाद राज्य की सियासत में  पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कद छोटा होने लगा है। डेढ़ दशक तक बीजेपी को सत्ता में रखने वाले शिवराज ने हार के बाद यह एलान कर दिया था कि वह प्रदेश में रह कर ही लोगों की सेवा करेंगे, उन्होंने केंद्र को साफ शब्दों में कह दिया था कि केंद्र की सियासत में जाने का उनका कोई इरादा नहीं है।

मध्य प्रदेश की सियासत में बीते डेढ़ दशक में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जब जो चाहा, वही हुआ। जिसे चाहा पार्टी की प्रदेश इकाई का अध्यक्ष बनवाया और जिसे चाहा, उसे राज्य की सियासत से बाहर कर दिया, मगर बीते माह सत्ता छिनते ही पार्टी के लोगों ने उन्हें हार की सजा देना शुरू कर दिया है। कभी राज्य में अपनी मर्जी चलाने वाले शिवराज अब जो चाहते हैं वह होता ही नहीं है।

पूर्व मुख्यमंत्री राज्य की सियासत में ही सक्रिय रहना चाहते थे और यही कारण है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार के बाद शिवराज ने अपने पहले ही बयान में साफ तौर पर ऐलान किया था, “मैं केंद्र में नहीं जाऊंगा, मध्य प्रदेश में जिऊंगा और मध्य प्रदेश में ही मरूंगा।”

शिवराज के इस बयान को एक माह का वक्त भी नहीं गुजरा था कि उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय होने का संदेश मिल गया है।

पार्टी सूत्रों के अनुसार, शिवराज खुद नेता प्रतिपक्ष या अपने चहेते को यह जिम्मदारी दिलाना चाहते थे, मगर ऐसा हुआ नहीं। कभी शिवराज के खिलाफ सीधी अदावत रखने वाले गोपाल भार्गव को नेता प्रतिपक्ष बना दिया गया।

विधानसभा चुनाव में मिली हार और उसके बाद दिए गए बयानों के बाद शिवराज विधानसभा के पहले सत्र में पूरी तरह सक्रिय दिखे, मगर पार्टी ने इसी बीच उन्हें उपाध्यक्ष बना दिया। इस पर कांग्रेस की ओर से तंज भी कसे गए। राज्य के जनसंपर्क मंत्री पी.सी. शर्मा ने कहा कि ‘राज्य से टाइगर को निष्कासित कर दिल्ली भेज दिया गया।’

शर्मा का बयान शिवराज के उस बयान को लेकर आया, जिसमें उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा था, “आप लोग चिंता न करें, क्योंकि टाइगर अभी जिंदा है।”

भाजपा के तमाम नेता शिवराज को यह जिम्मेदारी सौंपे जाने को अहम मान रहे हैं। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने भी शिवराज को इस बड़ी जिम्मेादारी मिलने पर बधाई दी है। वहीं राज्य को कोई नेता इस नियुक्ति पर कुछ ज्यादा बोलने को तैयार नहीं है।

राजनीतिक विश्लेषक साजी थॉमस का कहना है कि राज्य में भाजपा में बीते डेढ़ दशक में वही हुआ जो शिवराज ने चाहा, मगर अब हालात बदले हैं, उनके कई फैसले पार्टी को रास नहीं आए, इन स्थितियों में शिवराज को राज्य में ही कमजोर करने की कोशिश शुरू हुई है। इसकी शुरुआत नेता प्रतिपक्ष के चुनाव, फिर उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दिए जाने से हुई है। आने वाले दिनों में और भी कई बड़े फैसले हो सकते हैं, जो शिवराज की मर्जी के खिलाफ माने जाएंगे।

राज्य में शिवराज की राजनीतिक स्थिति का आकलन करें तो पता चलता है कि बीते डेढ़ दशक में पार्टी का प्रदेशाध्यक्ष वही बना, जिसे शिवराज ने चाहा। प्रभात झा तमाम कोशिशों के बाद भी दोबारा अध्यक्ष नहीं बन पाए और उन्होंने कहा था कि यह तो परमाणु परीक्षण जैसा हो गया, जिसकी उन्हें खबर तक नहीं लगी। इसी तरह राज्य का प्रभारी वही बना, जिसे शिवराज ने चाहा, मगर अब हाल, हालात और हवा बदल गई लगती है।

शिवराज के करीबी सूत्रों का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ना चाहते, मगर पार्टी उनकी इस मर्जी को भी मानने के मूड में नहीं हैं, पार्टी अब पूरी तरह शिवराज को केंद्र की राजनीति में ले जाने का मन बना चुकी है, जो शिवराज की मर्जी के विपरीत है। इन हालात में आने वाले दिन भाजपा के लिए काफी महत्वपूर्ण होने वाले हैं।

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बाहुबली मुख्तार अंसारी की हार्ट अटैक से मौत, बांदा जेल में बिगड़ी थी तबीयत

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लखनऊ। बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी की अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई है। बांदा जेल में मुख्तार को हार्ट अटैक आया था, इसके बाद मुख्तार अंसारी को बांदा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। सूत्रों के मुताबिक जेल से लाते वक्त मुख्तार बेहोश था। मुख्तार अंसारी की हालत गंभीर बनी हुई थी। 9 डॉक्टरों का पैनल मुख्तार अंसारी के लिए तैनात किया गया था। इलाज के दौरान मुख्तार अंसारी की मौत हो गई। इस मामले में मेडिकल कॉलेज बांदा के प्रिंसिपल ने चुप्पी साधी हुई है। उधर मुख्तार की मौत के बाद मऊ, बांदा और गाजीपुर में धारा 144 लागू हो गई है। इसके साथ ही यूपी में हाई अलर्ट है और सभी कप्तानों को अलर्ट पर रहने पर कहा गया है।

प्रयागराज में मुख्तार और उनके परिवार का इलाहाबाद हाईकोर्ट में केस देखने वाले वकील अजय श्रीवास्तव प्रयागराज से बांदा के लिए रवाना हो गए हैं। उनका कहना है कि जेल या प्रशासन की तरफ से अभी तक मुख्तार अंसारी के परिवार को कोई सूचना नहीं दी गई है। हालांकि मुख्तार के बेटे उमर अंसारी भी बांदा के लिए रवाना हो गए हैं।

बता दें कि मुख़्तार अंसारी की तबियत रात में अचानक खराब हो जाने और शोचालय में गिर जाने के कारण उसे तत्काल जेल डॉक्टर ने उपचार दिया गया। इसके बाद जिला प्रशासन को अवगत कराकर डॉक्टर्स की टीम बुलायी गई थी। डॉक्टर्स ने मुख्तार  को मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया था। इसके बाद बंदी मुख्तार अंसारी को पुलिस सुरक्षा में मेडिकल कालेज बांदा में भर्ती करा दिया गया था।

बता दें कि मुख्तार अंसारी को पिछले 18 महीने में 8 मामलो में सजा मिल चुकी थी, उसके खिलाफ अलग-अलग जिलों के थानों में कुल 65 मुकदमे दर्ज थे। पिछले 18 सालों से मुख्तार अंसारी जेल में बंद था। यूपी की बांदा जेल में बंद बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी को हार्ट अटैक आया था जिसके बाद उसे बांदा के रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था,लेकिन इलाज के दौरान मुख्तार अंसारी की मौत हो गई।

 

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