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आध्यात्म

MakarSankranti :15 जनवरी को है मकर संक्रांति, इस दिन भूलकर भी ना करें ये काम वरना…

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इस साल देशभर में मकर संक्रांति लोहड़ी से एक दिन बाद 15 जनवरी 2019 को मनाई जाएगी। मकर संक्रांति के दिन सू्र्य अपनी राशि बदलता है। सू्र्य के बदलाव से सभी राशियों पर कोई न कोई असर पड़ेगा, इसलिए कुछ बातों का ध्यान रखना काफी जरूरी है।

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मकर संक्रांति के दिन किसी भी तरह के नशे का सेवन से बचें।
मकर संक्रांति के दिन लहसुन, प्याज और मांसाहारी भोजन की जगह सादा भोजन करें।
इस दिन तिल, गुड़, मूंग दाल की खीचड़ी आदी का सेवन करें। ऐसा करना शुभ माना गया है।
इस दिन अगर आपके घर पर कोई बाबा, बिखारी या कोई बुजुर्ग आता है तो उसे खाली ना जाने दें।

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इस दिन किया हुआ दान महादान कहा जाता है। लेकिन दान देते समय ध्यान रखें कि जो भी वस्तुएं दान कर रहे हैं वो उत्तम श्रेणी की हों।
पुरानी और कबाड़ का रूप ले चुकी चीजें दान नहीं कहलाई जाती हैं। दान ऐसा दें जो लेने वाला भी प्रसन्न हो।
इस दिन हर एक व्यक्ति को नदी में जाकर स्नान करते हैं, तो हजार गुना पुण्य बढ़ जाता है।

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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