आध्यात्म
नवंबर की पहली तारीख से चमकेगी इन 4 राशियों की किस्मत, होगा भाग्योदय
नवंबर की पहली तारीख से कुछ राशियों की किस्मत चमकने वाली है। इन राशियों के लिए आने साल नयी उम्मीदों के साथ कदम रखने वाला है। वो राशि हैं – सिंह, मकर, मीन, तुला, धनु, वृश्चिक।
इन राशि के जातकों को रियल एस्टेट संबंधी निवेश में मुनाफा होगा। किसी सामाजिक कार्य में शामिल हो सकते हैं। नए साल में नए दोस्त बनेगें। अपनी पुरानी गलतियों को भूलकर आप जीवन में आगे बढ़ेंगे। नयी परियोजनाओं और कामों में अपना सिक्का जमा पाने में सफल होंगे। परिवार के साथ लम्बी छुट्टी पर जा सकते हैं।
बता दें, कीमती चीज़ो का ध्यान रखें, खोने की सम्भावना है। जो काम आज आप दूसरों के लिए स्वेच्छा से करेंगे, न सिर्फ औरों के लिए मददगार साबित होगा बल्कि आपके दिल में खुद की छवि भी सकारात्मक होगी। अपने जीवनसाथी के साथ प्यार की गर्माहट महसूस कर सकते हैं।
किस्मत के भरोसे बैठने से सेहत नहीं सुधरती। आपको अपने वजन पर ध्यान देना होगा। स्वस्थ रहने के लिए नियमित व्यायाम का सहारा लें। ज़रुरत से ज्यादा खर्चा न करें। पारिवारिक तनाव के चलते सेहत नासाज़ हो सकती है।
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आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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