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आध्यात्म

नए साल में इन 4 राशियों का होगा भाग्योदय, कहीं वो आप तो नहीं

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आज के दौर में हर इंसान की ज़िंदगी में कोई न कोई चुनौती होती है। साल 2018 में हम लोगों ने कई चुनौतियों का सामना किया होगा। आने वाले साल में भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन आज हम आपको उन 4 राशियों के बारे में बताने वाले है, जिनका भाग्य सूर्य की तरह तेज़ चमक रहा है, जिससे अपने जीवन में आने वाली हर चुनौतियों को इन राशि के जातक आसानी से पार कर लेंगे।

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बता दें, वो राशियां है – तुला ,मीन,वृषभ,और कुंभ। इन राशियों के लिए नया साल नयी सौगात लेकर आ रहा है। इन राशि के लोगों को सफलता के नए मार्ग हासिल होंगे। अचानक धन लाभ होगा और सफलता के नए-नए अवसर प्राप्त होंगे जिनका आप भरपूर लाभ उठाएंगे। कोई बड़ी खुशखबरी मिल सकती है। जो बेरोज़गार हैं उन्हें किसी अच्छी कंपनी से जॉब का ऑफर आ सकता है।

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2019 का साल आपके व्यापार और जीवन में अत्यधिक धन लाभ लेकर आने वाला है। प्यार के मामलों में आपको सफलता मिलेगी। नौकरी करने वाले लोगों को प्रमोशन मिलेगा। नए साल में आप अपने दोस्तों के साथ मिलकर किसी नए काम की शुरुआत करेंगे।

 

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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