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धरती के स्वर्ग में फिर खुला ट्यूलिप गार्डेन, रिकॉर्ड टूटने की उम्मीद

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श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने इस साल घाटी में भारी संख्या में पर्यटकों के आने की उम्मीद जताई है। श्रीनगर में सोमवार को ट्यूलिप गार्डन खोलते हुए सईद ने कहा कि हाल में घाटी में आई बाढ़ को राष्ट्रीय मीडिया द्वारा बेहद तवज्जो देने से यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।

उन्होंने कहा कि घाटी में कहीं भी बाढ़ की स्थिति नहीं है। हां, कहीं-कहीं पर जलभराव जरूर है। बीते साल यहां अप्रत्याशित बाढ़ आई थी, जिसके कारण लोग डरे हुए थे। सईद ने कहा, “सरकार ने त्वरित कदम उठाए। लोगों ने अपने जगहों से सामानों को हटाना शुरू कर दिया था। हमने उन्हें नहीं रोका, क्योंकि बीते साल बिना किसी चेतावनी के बाढ़ आ गई थी, जिसके कारण लोगों को भारी नुकसान झेलना पड़ा था।” इस दौरान, मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि इस साल यहां रिकॉर्ड संख्या में पर्यटक आएंगे।

उन्होंने कहा, “इस साल यहां पर्यटक भारी संख्या में आएं, इसे सुनिश्चित करने का हम प्रयास कर रहे हैं। देश के अन्य जगहों की तरह ही यह जगह भी शांतिपूर्ण है। यहां की सुंदरता देखने के लिए लोगों को यहां जरूर आना चाहिए और यहां के लोगों के आतिथ्य का आनंद उठाना चाहिए।”

प्रसिद्ध डल झील के किनारे तथा जबरवान पहाड़ के नीचे 30 हेक्टेयर भूमि में फैला ट्यूलिप गार्डन एशिया का सबसे बड़ा ट्यूलिप गार्डन है। गार्डन के सहायक पुष्प कृषि अधिकारी इमरान अहमद अहंगार ने कहा कि इस समय गार्डन में ट्यूलिप की 53 किस्में मौजूद हैं और 10 लाख से अधिक ट्यूलिप के फूल खिले हुए हैं। इस साल हमने ट्यूलिप के तीन लाख बल्ब (जड़) आयात किए हैं। उन्होंने कहा कि तापमान व नमी के हिसाब से गार्डन हर साल एक महीने के लिए फूलों से गुलजार रहता है। अहंगार ने कहा कि बीते साल 16 लाख पर्यटक आए थे।

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दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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