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प्रादेशिक

पत्रकार के सवाल पर भड़क उठे मौलाना, अचानक कर दिया हमला!

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नई दिल्ली। अपने बयानों से हमेशा सुर्खियों में रहने वाले ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के सांसद बदरुद्दीन अजमल एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं।

बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पत्रकार के सवाल पर बदरुद्दीन इनता भड़क गए कि उन्हें खुद पर काबू न रहा और पत्रकार पर माइक से हमला कर दिया।

घटना असम के दक्षिणी सलमारा जिले के हटसिंगमारी की है जहां पंचायती चुनाव में एआईयूडीएफ के विजेता उम्मीदवारों को सम्मानित करने के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।

कार्यक्रम समाप्त होने के बाद अजमल प्रेस को संबोधित कर रहे थे। प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक पत्रकार ने अजमल से महागठबंधन के बारे में सवाल पूछा।

अजमल ने जवाब दिया कि पूर्व में भी वे इसका हिस्सा थे और आगामी लोकसभा चुनाव में भी महागठबंधन के साथ रहेंगे। टीवी पत्रकार ने अगला सवाल यह किया कि क्या बाद में वे जीतने वाली पार्टी के साथ गठजोड़ कर लेंगे? इस सवाल पर अजमल अचानक भड़क उठे और पत्रकार पर माइक फेंक कर हमला कर दिया।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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