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छत्तीसगढ़: लगातार दो बार चुनाव हारने वाले भूपेश बघेल कैसे बन गए सीएम, दिलचस्प है सियासी सफर!

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रायपुर। 11 दिसंबर को आए विधानसभा चुनाव नतीजों में कांग्रेस ने तीन राज्यों में बाजी मारी लेकिन जीत के बावजूद ये पांच दिन पार्टी के लिए बहुत मुश्किल भरे रहे।

तीन राज्यों में मुख्यमंत्री पद के लिए फंसा पेंच मध्य प्रदेश और राजस्थान में तो सुलझ गया लेकिन छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को दावेदारों को मनाने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ी।

कई बैठकों के दौर के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री पद के लिए भूपेश बघेल के नाम पर मुहर लगा दी। आईए जानते हैं कैसा है नवनिर्वाचित सीएम भूपेश बघेल का सियासी करियर…

 बघेल का राजनीतिक करियर 80 के दशक में शुरू हुआ जब छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश का हिस्सा हुआ करता था। उन्होंने अपने सियासी सफर की शुरूआत यूथ कांग्रेस से की और दुर्ग जिले के अध्यक्ष बनाए गए।

1994-95 में भूपेश बघेल को मध्यप्रदेश यूथ कांग्रेस का उपाध्यक्ष बनाया गया। इसके अलावा वह दिग्वजिय सिंह की सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे।

साल 2000 में जब छत्तीसगढ़ अलग राज्य बन गया और पाटन छत्तीसगढ़ का हिस्सा बना, तो भूपेश छ्त्तीसगढ़ विधानसभा पहुंचे। वहां और कैबिनेट मंत्री बने। 2003 में कांग्रेस जब सत्ता से बाहर हो गई, तो भूपेश को विपक्ष का उपनेता बनाया गया।

2004 में जब लोकसभा के चुनाव होने थे, तो भूपेश को दुर्ग से उम्मीदवार बनाया गया। लेकिन बीजेपी के ताराचंद साहू ने उन्हें करीब 65 हजार वोटों से मात दे दी।

2009 में उनकी सीट में बदलाव कर कांग्रेस ने उन्हें रायपुर से चुनाव लड़वाया लेकिन उनकी किसमत ने यहा भी उनका साथ नहीं दिया और रमेश बैश के हाथों उन्हें शिकस्त खानी पड़ी।

अक्टूबर 2014 में उन्हें प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया और तब से वो इस पद पर हैं। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की जीत का श्रेय काफी हद तक बघेल को दिया जा सकता है।

उन्होंने यहां पूरी तरह से हताश कांग्रेस में एक बार फिर जान फूंकी और पार्टी को फर्श से अर्श पर लाकर खड़ा कर दिया। सीएम बनने के बाद अब यह देखना दिलचस्प होगा कि वह राज्य की समस्याओं को कैसे दूर करते हैं।

 

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लोकसभा चुनाव: उत्तराखंड की पांच सीटों पर मतदान जारी, बीजेपी प्रत्याशी अजय भट्ट ने डाला वोट

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देहरादून। लोकसभा चुनाव के तहत आज उत्तराखंड की 5 लोकसभा सीटों पर वोट डाले जा रहे हैं। लोग अपने घरों से निकल कर अपने मताधिकार का उपयोग करने मतदान केंद्रों पर पहुंच रहे हैं। मतदान केंद्रों के बाहर लोगों की लंबी लंबी कतारें लगी हुई हैं। देश के इस महापर्व को मानने के लिए लोगों में उत्साह दिखाई दे रहा है।

पुरुषों के साथ महिलाएं भी वोट के लिए लाइनों में लगी हैं। बुजुर्ग, महिलाएं, पुरुष, युवा सभी लोग अपना वोट डालने मतदान केंद्रों पर पहुंच रहे हैं। इसी क्रम में डीएम सोनिका सिंह ने मतदान केंद्र पहुंचकर मतदान किया। अपर मुख्य राज्य निर्वाचन अधिकारी विजय कुमार जोगदंडे भी अपनी पत्नी के साथ मतदान केंद्र पहुंचे और मतदान किया। वहीं उत्तराखंड के पूर्व सीएम और पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने टिहरी लोकसभा सीट के, मसूरी विधानसभा क्षेत्र में बूथ संख्या 83 में बेटी आरुषि निशंक एवं विदुशी निशंक के साथ मतदान करके लोकतंत्र के महापर्व में अपनी भागीदारी की।

नैनीताल उधमसिंह नगर लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी अजय भट्ट ने रानीखेत में अपने मत का प्रयोग किया। अजय भट्ट जिस सीट से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं रानीखेत उससे दूर है लेकिन लोकतंत्र के महापर्व पर वो रानीखेत गए और वोट डाला। अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी अजय टम्टा ने अल्मोड़ा के दुगालखोला पंचायत घर में वोट डाला। भाजपा प्रत्याशी अजय टम्टा ने अपनी पत्नी के साथ पहुंचकर किया मतदान।

पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी अनिल बलूनी ने नकोट में वोट डाला। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट के जरिए बताया कि- आज विकसित भारत संकल्प के लिए अपने गांव में मतदान किया। अवश्य मतदान करें, सोच विचार कर करें। आपका एक वोट आपके लिए सरकार चुनता है और देश का भविष्य तय करता है। सक्षम, विकसित और उज्जवल भारत के लिए अवश्य मतदान करें। वन्दे मातरम्! भारत माता की जय!

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