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आध्यात्म

वाराणसी के संकटमोचन मंदिर पर फिर संकट, 2006 से भी बड़ा धमाका करने की चेतावनी

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उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले का प्रसिद्ध संकट मोचन मंदिर को धमाके से उड़ाने की धमकी किसी अज्ञात ने दी है। धमकी भरी चिट्ठी मिलने के बाद हड़कंप मच गया है।

इस चिट्ठी को संकट मोचन मंदिर के महंत प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र के पास भेजी है। धमकी मिलने के बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रो.मिश्र ने एसएसपी से मुलाकात कर उन्हें पूरी जानकारी दी। उन्होंने इसकी लिखित शिकायत भी की है।

मंदिर के महंत मिश्र के मुताबिक सोमवार की रात एक धमकी भरी चिट्ठी मिली। जिसमें लिखा था कि मंदिर में मार्च, 2006 से बड़ा धमाका करेंगे। साथ ही धमकी को हल्के में न लेने की चेतावनी भी दी गई है।

आपको बता दें, 7 मार्च, 2006 को संकट मोचन मंदिर, कैंट स्टेशन और दशाश्वमेध घाट पर सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे। इन धमाकों संकट मोचन मंदिर में 7 और कैंट स्टेशन पर 11 लोगों की मौत हुई थी जबकि 100 से अधिक लोग घायल हुए।

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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