आध्यात्म
खग्रास चंद्रग्रहण शनिवार को
लखनऊ। चैत्र मास पूर्णिमा यानी चार अप्रैल को खग्रास चंद्रग्रहण है। चंद्रग्रहण अपराह्न् 3.46 बजे शुरू होकर शाम 7.16 बजे तक रहेगा। ज्योतिषाचार्य गणेश दत्त त्रिपाठी ने बताया कि पूर्वोत्तर भारत के नागालैंड से चंद्रग्रहण दिखाई देना शुरू होगा। सूर्यास्त के समय यह पश्चिम में दिखाई देगा। उन्होंने कहा कि यह चंद्रग्रहण अत्यंत कष्टदायी व अजीब संयोग वाला है। ग्रहण मेष, कर्क, वृश्चिक, धनु, राशि वालों के लिए लाभदायक, वृष, मिथुन, सिंह, कन्या, तुला, मकर, कुंभ, मीन राशि वालों के लिए कष्टदायी होगा। ग्रहण का सूतक सूर्योदय से शुरू होगा।
त्रिपाठी ने कहा कि सूतक व ग्रहण काल में दान, जप, पाठ, मंत्र, सिद्धि, तीर्थस्नान, कीर्तन आदि में ग्रहण का प्रकोप कम हो जाता है। ग्रहण काल में मूर्ति स्पर्श करना, अनावश्यक खाना-पीना, मैथुन, निद्रा से बचें। बालक, वृद्ध, रोगी, गर्भवती महिलाओं को नियमित रूप से भोजन, दवाई लेने से कोई दोष नहीं लगता। खाने-पीने की वस्तुओं में कुशा रखें। ज्योतिषाचार्य ने कहा कि ग्रहण काल में हनुमानजी की पूजा करनी चाहिए और ग्रहण के बाद स्नान अवश्य कर लेना चाहिए।
आध्यात्म
होलिका दहन पर भद्रा का साया, जानें शुभ मुहूर्त
नई दिल्ली। 24 मार्च यानी आज होलिका दहन मनाया जाएगा. होली के एक दिन पहले होलिका दहन होती है जिसमें लोग बढ़ चढ़कर भाग लेते हैं। इस दिन भद्रा का साया रहेगा. जबकि रंग वाली होली 25 मार्च को रंग-गुलाल उड़ेंगे। इस साल होली पर साल का पहला चंद्र ग्रहण भी लगने वाला है। आइए जानते हैं कि इस साल होलिका दहन पर भद्रा का साया कब से कब तक रहेगा और होलिका दहन का शुभ मुहूर्त क्या रहने वाला है.
होलिका दहन पर भद्रा कब से कब तक?
24 मार्च को होलिका दहन के दिन भद्रा का साया सुबह 9 बजकर 24 मिनट से लेकर रात 10 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। इसलिए आप रात 10 बजकर 27 मिनट के बाद ही होलिका दहन कर पाएंगे।
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 9 बजकर 54 मिनट से लेकर 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगी। ऐसे में होलिका दहन 24 मार्च को किया जाएगा. होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 24 मार्च को रात 11.13 बजे से रात 12.27 बजे तक रहेगा।
होलिका दहन की पूजन विधि
होलिका दहन के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठें और स्नानादि के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें। शाम के वक्त होलिका दहन के स्थान पर पूजा के लिए जाएं। यहां पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें. सबसे पहले होलिका को उपले से बनी माला अर्पित करें। अब रोली, अक्षत, फल, फूल, माला, हल्दी, मूंग, गुड़, गुलाल, रंग, सतनाजा, गेहूं की बालियां, गन्ना और चना आदि चढ़ाएं।
फिर होलिका पर एक कलावा बांधते हुए 5 या 7 बार परिक्रमा करें. होलिका माई को जल अर्पित करें और सुख-संपन्नता की प्रार्थना करें। शाम को होलिका दहन के समय अग्नि में जौ या अक्षत अर्पित करें. इसकी अग्नि में नई फसल को चढ़ाते हैं और भूनते हैं। भुने हुए अनाज को लोग घर लाने के बाद प्रसाद के रूप में बांटतें हैं। शास्त्रों में ऐसा करना बहुत ही शुभ माना गया है।
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