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नेशनल

CBI vs CBI: आलोक वर्मा के जवाब लीक होने पर भड़के चीफ जस्टिस, कह दी ये बड़ी बात

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नई दिल्ली। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) में मचे घमासान पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई 29 नवंबर तक टल गई है। सुप्रीम कोर्ट में यह सुनवाई छुट्टी पर चल रहे सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा की याचिका पर की जा रही है।

सुनवाई टलने से पहले कोर्ट में तीखी बहस भी देखने को मिली और चीफ जस्टिन रंजन गोगोई ने आलोक वर्मा के सीलबंद लिफाफे की बातें सार्वजनिक होने पर नाराजगी जाहिर की। चीफ जस्टिस ने अपनी टिप्पणी में यहां तक कह दिया कि आपमें से कोई भी सुनवाई के लायक नहीं है।

मंगलवार की सुबह इस मामले पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के वकील फली नरीमन को कुछ दस्तावेज पढ़ने के लिए दिए इसके बाद चीफ जस्टिस ने पूछा कि जो जवाब आलोक वर्मा ने दिए हैं वो बाहर कैसे आए। जिसपर नरीमन ने कहा कि उन्हें खुद इस बात की जानकारी नहीं है।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने अपनी पिछली कुछ सुनवाई के दौरान साफ तौर पर कहा था कि सीवीसी की जांच रिपोर्ट और उस पर आलोक वर्मा का जवाब सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को सौंपा जाएगा। यानी कोर्ट ने इस मामले में बहुत की एहतियात बरतने के आदेश दिए थे। बावजूद इसके आलोक वर्मा के जवाब का हवाला देते हुए मीडिया में रिपोर्ट छापी गई।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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