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अक्षय कुमार ऐसे बने 2.0 के सुपर विलेन, मेकिंग वीडियो आपको कर देगा हैरान
बॉलीवुड एक्टर अक्षय कुमार और रजनीकांत स्टारर साइंस फिक्शन फ़िल्म 2.0 आगामी 29 नवंबर को रिलीज़ हो रही है। टीजर रिलीज होने के बाद से ही दर्शकों को इस फ़िल्म का बेसब्री से इंतज़ार है। इस फ़िल्म की सबसे खास बात अक्षय कुमार का मेकअप है जिसके बारे में जानने को फैन्स काफी उत्सुक हैं।
अक्षय कुमार का एक लुक तैयार करने में कई टेक्नोलॉजी के अलावा घंटों मेहनत करनी पड़ी। अक्षय कुमार का निगेटिव किरदार काफी डरावना बनाया गया है, वह एक चील (eagle) के रूप में दिखाई देंगे।
My look in #2Point0 is nothing short of a technological wonder! Watch to know how it was brought to life.@2Point0Movie @shankarshanmugh @DharmaMovies @LycaProductions #2Point0FromNov29 pic.twitter.com/NfUfUPb2L1
— Akshay Kumar (@akshaykumar) November 16, 2018
इस वीडियो में देखा गया कि कई तकनीकी का इस्तेमाल करके अक्षय कुमार के लुक को तैयार किया गया। मेकअप आर्टिस्ट से लेकर प्लास्टर ऑफ पेरिस तक, हर तरह से घंटों मेहनत की गई तब जाकर एक लुक तैयार किया गया।
फिलहाल LYCA प्रोडक्शन्स ने भी इसका वीडियो अपने यूट्यूब पर अपलोड किया है, जिसे 14 लाख बार देखा जा चुका है, जबकि अक्षय कुमार के इंस्टाग्राम से इसे 18 लाख से ज्यादा बार देखा गया है।
Even a mammoth task can be achieved if you have an exceptional team…EFFORT UNLIMITED from the Team of #2Point0 – https://t.co/zXH4PNrueE
— Akshay Kumar (@akshaykumar) October 2, 2018
शंकर निर्देशित इस फ़िल्म में अक्षय कुमार एक सिरफिरे साइंटिस्ट का रोल निभा रहे हैं, जो मोबाइल फोन टॉवर से पर्यावरण को होने वाले ख़तरों के ख़िलाफ़ एक अलग तरह की जंग छेड़ देता है। यह रजनीकांत की फ़िल्म एंधीरन का सीक्वल है, जिसमें रजनी ने वैज्ञानिक डॉ. वसीगरन और अत्याधुनिक रोबोट चिट्टी का रोल निभाया था।
इस फिल्म में सुपरस्टार कमल हासन, आमिर ख़ान, नील नितिन मुकेश, रितिक रोशन और हॉलीवुड एक्शन स्टार अर्नोल्ड श्वार्ज़नेगर भी शामिल हैं। अर्नोल्ड ने फ़िल्म के लिए काफ़ी बड़ी रकम फीस के तौर पर मांगी थी।
नेशनल
दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!
सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ
लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।
26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।
इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।
इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।
इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान
असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।
दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।
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