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आध्यात्म

KarvaChauth2018 : जानें आज आपके शहर में कितने बजे निकलेगा चांद

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करवा चौथ के व्रत का इंतजार हर विवाहित महिला को रहता हैं। इस व्रत में सूर्योदय से लेकर चांद दिखने तक महिलाएं निर्जल व्रत रखती है। करवाचौथ पर पूजा के बाद रात में चांद निकलने के बाद ही महिलाएं अन्न-जल ग्रहण करती हैं। इसलिए कई बार चांद निकलने में नखरे दिखते हैं। इस साल करवा चौथ आज यानी कि शनिवार 27 तारीख को है। इस बार करवा चौथ पर पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 4 मिनट से लेकर 7 बजकर 19 मिनट तक रहेगा। आइये आपको बताते हैं कि आज करवा चौथ पर शाम को चांद कब निकलेगा यानि चंद्र दर्शन का समय क्या रहेगा?

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चंद्रमा निकलने का समय – रात 7.28 से 8:14 बजे तक (संपूर्ण भारत)

पूजन का शुभ मुहूर्त – शाम 5:40 से शाम 6:47 बजे।

कहां – कितने बजे चंद्र दर्शन
दिल्ली – 7.55
लखनऊ – 7.43
पटना – 7.28
रांची – 7.31
मुरादाबाद – 7.49
बरेली – 7.49

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सहारनपुर – 7.52
मुजफ्फरनगर – 7.52
बिजनौर – 7.52
उत्तर प्रदेश – 8:31
आगरा –
7.55
गाजियाबाद –
7.56
उत्तराखंड  – 
8:35
प्रयागराज – 7.42
कानपुर – 7.46
 मेरठ-नोएडा – 7.53

सबसे पहले करवा चौथ पर चंद्रमा कोलकाता शहर में शाम को 7 बजकर 22 मिनट पर ही निकल जाएंगे।

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आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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