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डिप्रेशन का शिकार बन रहे स्कूली बच्चे, रिसर्च में हुआ खुलासा

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आज की दौड़भाग भरी जिंदगी के बीच डिप्रेशन जैसी बीमारी के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं। हम में से कुछ लोगों को ऐसा लगता हैं कि डिप्रेशन सिर्फ बड़े लोगों को होता हैं। लेकिन भारतीय शोधकर्ताओं के एक ताजा अध्ययन में हैरान कर देने वाली बात सामने आयी हैं। दरअसल, इस शोध में पता चला हैं कि स्कूल जाने वाले 13 से 18 वर्ष के अधिकतर किशोर डिप्रेशन (अवसाद) का शिकार हो रहे हैं। इस शोध का खुलासा चंडीगढ़ स्थित स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ और स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (PGIMER) के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया हैं।

शोधकर्ताओं ने इस शोध को चंडीगढ़ के 8 सरकारी और निजी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों पर किया था। इस सर्वेक्षण में 542 किशोर छात्रों को शामिल किया गया था। डिप्रेशन का मूल्यांकन करने के लिए शोधकर्ताओं ने कई कारकों को अपने अध्ययन में शामिल किया। इस शोध में किशोर के माता-पिता की शिक्षा व व्यवसाय, घर और स्कूल में किशोरों के प्रति रवैया, सामाजिक व आर्थिक पृष्ठभूमि, यौन व्यवहार और इंटरनेट का यूज़ प्रमुख हैं। यह शोध ‘इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च’ में प्रकाशित किया गया है।

इस शोध में शोधकर्ताओं ने पाया है कि लगभग 40 प्रतिशत किशोर किसी न किसी रूप में डिप्रेशन के शिकार हैं। इनमें 7.6 प्रतिशत किशोर गहरे डिप्रेशन के शिकार हैं, जबकि 32.5 प्रतिशत किशोरों में डिप्रेशन संबंधी अन्य समस्‍याएं देखी गई हैं। करीब 30 प्रतिशत किशोर डिप्रेशन के न्यूनतम स्तर और 15.5 प्रतिशत किशोर डिप्रेशन के मध्यम स्तर से प्रभावित हैं। इनके अलावा 3.7 प्रतिशत किशोरों में डिप्रेशन का स्तर गंभीर स्थिति में पहुंच चुका है। वहीं 1.1 प्रतिशत किशोर अत्यधिक गंभीर डिप्रेशन के शिकार हैं।

डिप्रेशन के मामले में शोधकर्ताओं का कहना है कि किशोरों में डिप्रेशन के ज्यादातर कारक परिवर्तनीय हैं और उन पर ध्‍यान देकर उन्‍हें सुधारा जा सकता है। घर और स्कूल के वातावरण को अनुकूल बनाकर छात्रों में डिप्रेशन को कम करने में मदद मिल सकती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि किशोरों को लेकर डिप्रेशन पर अभी और शोध करने कि आवश्यकता हैं।

रिसर्च टीम के प्रमुख डॉ मनमोहन सिंह ने इंडिया साइंस वायर को बताया कि ‘किशोरों में डिप्रेशन के मामले तेजी से बढ़ रही हैं। इस समस्या को गंभीरता से लेने की जरूरत है क्योंकि किशोरावस्था बचपन से वयस्कता के बीच के एक संक्रमण काल की अवधि होती है। इस दौरान किशोरों में कई हार्मोनल और शारीरिक परिवर्तन होते हैं। ऐसे में डिप्रेशन का शिकार होना उन बच्चों के करियर निर्माण और भविष्य के लिहाज से घातक साबित हो सकता है।’

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सीएम बने रहेंगे केजरीवाल, कोर्ट ने पद से हटाने वाली याचिका की खारिज

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नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उनके पद से हटाने की मांग वाली जनहित याचिका हाई कोर्ट ने खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि ऐसी कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है कि अरविंद केजरीवाल अपने पद पर बने नहीं रह सकते हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि ये कार्यपालिका से जुड़ा मामला है। दिल्ली के उपराज्यपाल इस मामले को देखेंगे और फिर वह राष्ट्रपति को इस भेजेंगे। इस मामले में कोर्ट की कोई भूमिका नहीं है।

केजरीवाल को सीएम पद से हटाने के लिए याचिका दिल्ली के रहने वाले सुरजीत सिंह यादव ने दी है, जो खुद किसान और सामाजिक कार्यकर्ता बताते हैं। सुरजीत सिंह यादव का कहना था कि वित्तीय घोटाले के आरोपी मुख्यमंत्री को सार्वजनिक पद पर बने रहने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए। याचिकाकर्ता सुरजीत ने अपनी याचिका में कहा था कि केजरीवाल के पद पर बने रहने से न केवल कानून की उचित प्रक्रिया में दिक्कत आएगी, बल्कि न्याय प्रक्रिया भी बाधित होगी और राज्य में कांस्टीट्यूशनल सिस्टम भी ध्वस्त हो जाएगा।

याचिका में कहा गया था कि सीएम ने गिरफ्तार होने के कारण एक तरह से मुख्यमंत्री के रूप में अपना पद खो दिया है, चूंकि वह हिरासत में भी हैं, इसलिए उन्होंने एक लोक सेवक होने के कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को निभाने से खुद को अक्षम साबित कर लिया है, अब उन्हें इस मुख्यमंत्री पद पर नहीं बने रहना चाहिए।

 

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