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उप्र : पर्चा लीक मामले में 3 गिरफ्तार

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पीसीएस, वाट्सएप, एसटीएफ, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग, लखनऊ

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लखनऊ| उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा का पर्चा लीक होने के मामले में स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ ) ने सोमवार को यहां के आलमबाग स्थित आदर्श भारतीय विद्यालय केंद्र के परीक्षा नियंत्रक, कक्ष निरीक्षक और एक अध्यापक को गिरफ्तार किया। इन तीनों को रविवार को पर्चा लीक होने के लिए जिम्मेदार माना गया है। मामले की जांच में जुटी एसटीएफ ने एक बयान जारी कर बताया कि पर्चा लीक मामले की जांच में जुटी टीमों को जानकारी मिली थी कि पर्चा राजधानी के आलमबाग स्थित आदर्श भारतीय विद्यालय के कमरे से लीक हुआ है। जांच के दौरान विद्यालय के परीक्षा नियंत्रक विशाल मेहता, कक्ष निरीक्षक जय सिंह और विद्यालय के अध्यापक ज्ञानेंद्र द्वारा पर्चा लीक किए जाने के बारे में पता चला, जिसके बाद पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।

एसटीएफ के मुताबिक, विभिन्न परीक्षा केंद्रों पर रविवार को हुई यूपीपीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा के संबंध में सूचना मिली थी कि इस परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक कर अभ्यर्थियों से भारी धनराशि वसूलने वाला एक गिरोह लखनऊ में सक्रिय है। एसटीएफ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने सभी टीमों को सक्रिय करते हुए इस मामले की जांच करने के निर्देश दिए। इसी दौरान रविवार को सुबह लगभग नौ सूचना प्राप्त हुई कि इस परीक्षा का प्रश्नपत्र साढ़े आठ से नौ बजे के बीच लीक हो चुका है। इस प्रश्नपत्र को सौदेबाज व्हाट्सएप्प के जरिए अभ्यर्थियों को भेजकर भारी रकम वसूल रहे हैं। इसके बाद एसटीएफ की टीमें प्रश्नपत्र लीक करने वाले गिरोह के सदस्यों की तलाश करने लगीं।

पुलिस को उसके एक मुखबिर से जानकारी मिली कि आलमनगर के रहने वाले जय सिंह वर्मा नाम के व्यक्ति ने व्हाट्सएप्प के जरिए पर्चा लीक किया है। एसटीएफ के मुताबिक, जय सिंह आदर्श भारती विद्यालय में यूपीपीसीएस परीक्षा के दौरान कक्ष निरीक्षक के तौर पर कार्यरत था। वह पीसीएस परीक्षा की तैयारी करता है। उसने बताया कि उसका साथी ज्ञानेंद्र कुमार उसी विद्यालय में अध्यापक है, जो पीसीएस की परीक्षा देने के लिए सीतापुर गया हुआ है। ज्ञानेंद्र कुमार ने ही उसे कक्ष निरीक्षक के पद पर तैनात कराने के लिए विद्यालय के परीक्षा नियंत्रक विशाल मेहता से मिलवाया था।

एसटीएफ के अनुसार, उसने बताया कि तीनों ने मिलकर परीक्षा प्रश्नपत्र लीक करने की योजना बनाई थी। रविवार को परीक्षा के दिन सुबह आठ बजे वह विद्यालय पहुंच गया और विशाल मेहता के साथ मिलकर उसने प्रश्नपत्र की तस्वीर खींची और व्हाट्स एप के जरिए अभ्यर्थियों को भेज दी। पुलिस ने जय सिंह से पूछताछ करने के बाद ज्ञानेंद्र और विशाल मेहता को गिरफ्तार कर लिया। इससे पहले सोमवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस मामले पर मुख्य सचिव आलोक रंजन, पुलिस महानिदेशक ए.के. जैन, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री अनीता सिंह और प्रमुख गृह सचिव देवाशीष पांडा को तलब किया।

यूपी पीसीएस परीक्षा का पर्चा लीक होने के कारण परीक्षा रद्द कर दी गई। यह पर्चा वाट्सएप के जरिए लीक किया गया था। बताया जा रहा है कि लीक हुआ पर्चा पांच-पांच लाख रुपये में बेचा जा रहा था। पर्चा लीक होने की जानकारी मिलने पर अभ्यर्थी आक्रोशित हो गए थे। उन्होंने अलीगंज स्थित लोक सेवा आयोग के परीक्षा भवन में जमकर हंगामा किया था।

नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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