प्रादेशिक
युवाओं के आगे बढ़ने के सपने पर लगाम लगाने की कोशिश में बीटीईयूपी
साल 2014 में बीजेपी को मिले प्रचंड बहुमत से देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया। नरेंद्र मोदी को इतना बड़ा जनादेश मिलने के पीछे का सबसे बड़ा कारण युवाओं में मोदी की जबरदस्त लोकप्रियता थी। लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान मोदी ने युवाओं के रोजगार और उनसे जुड़ी कई समस्याओं को जोर-शोर से उठाया था।
युवाओं को भी मोदी में आशा की किरण नज़र आई, जिसके परिणाम स्वरुप नरेंद्र मोदी ‘पीएम मोदी’ बन गए। पीएम बनने के बाद मोदी युवाओं से किए वादे को नहीं भूले और साल 2015 में अपना ड्रीम प्रोजेक्ट ‘स्किल इंडिया’ अभियान की शुरुआत की।
इस अभियान की शुरुआत करते हुए पीएम मोदी ने कहा था, ‘स्किल इंडिया गरीबी के खिलाफ सरकार की लड़ाई है। इसके तहत सरकार ने 2022 तक 40.02 करोड़ लोगों को प्रशिक्षण देने का लक्ष्य रखा है।’ लेकिन 2019 लोकसभा चुनाव से पहले पीएम मोदी के ‘स्किल इंडिया’ के सपने को प्राविधिक शिक्षा परिषद, उत्तर प्रदेश (बीटीईयूपी) गहरी चोट पहुंचाने की तैयारी में है।
लखनऊ के एक स्थानीय अखबर में छपि खबर के अनुसार बीटीईयूपी जल्द ही ग्रुप G के कोर्सेस को बंद करनी की तैयारी में जुटा है। इसके पीछे बोर्ड इस साल हुए कम एडमिशन का हवाला दे रहा है। प्राविधिक शिक्षा परिषद के निर्देश पर संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद ने कोर्स वार दाखिले की पूरी रिपोर्ट शोध विकास एवं प्रशिक्षण संस्थान कानपुर को भेज दी है। जिस पर जल्द ही निर्णय लिया जा सकता है।
बीटीईयूपी की यह तैयारी उन हजारों युवाओं के सपने को तोड़ रही है जो पीएम के महत्वकांक्षी ‘कौशल विकास’ योजना के तहत रोजगार पाने की आस लगाए हैं। आपको बता दें कि पॉलीटेक्निक के G ग्रुप में कोर्सेस प्रोफेशनल कोर्सेस हैं जो युवाओं को रोजगार दिलाने में काफी मदद करते हैं। इन कोर्सेस की फीस प्राइवेट संस्थानों में लाखों में है लेकिन राजकीय पॉलीटेक्निक में यह कोर्सेस 10 हजार रुपए से भी कम में कराए जाते हैं।
इन कोर्सेस को बढ़ावा देने के बजाय बोर्ड द्वारा इसे बंद करना किसी भी तरह से सही नहीं लगता। अगर संस्थान में एडमिशन कम हो रहे हैं तो बोर्ड को युवाओं को और अधिक जागरुक करने की पहल करनी चाहिए न कि इन कोर्सेस को बंद कर देना चाहिए। जहां एक ओर पॉलीटेक्निक के ये प्रोफेशनल कोर्स गरीब को प्रशिक्षित कर रोजगार मुहैया कराने में सहायक साबित हो रहे हैं वहीं बोर्ड द्वारा इसे बंद किए जाने की तैयारी निश्चित ही पीएम मोदी के स्किल इंडिया के सपने को तोड़ती नज़र आ रही है।
उत्तर प्रदेश
हरदोई में 16 बार चुनाव लड़ा, हर बार मिली हार, फिर से मैदान में उतरे शिवकुमार
हरदोई। देश भर में चुनाव का माहौल गरमाया हुआ है और ऐसे में हरदोई में भी चुनाव की गरमा गरमी अब खूब देखने को मिल रही है। यहां पर एक ऐसे प्रत्याशी भी है जो 17 वी बार चुनाव लड़ने जा रहे हैं। अब तक कुल 16 बार चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन उन्हें आजतक किसी भी चुनाव में जीत नहीं मिली है। इनका नाम है शिवकुमार और यह शहर कोतवाली क्षेत्र के मन्नापुरवा के रहने वाले है।
इनका कहना है कि वह हारने के बाद भी वह चुनाव लड़ते रहेंगे क्योंकि जनता उनका सम्मान बरकरार रखती है। उन्होंने कहा कि इस बार अगर वह जीतते हैं तो लोकसभा क्षेत्र के लोगों की हर समस्या के समय उनके साथ खड़े रहेंगे और उनका सहयोग करेंगे। शिवकुमार ने प्रत्येक बार निर्दलीय होकर चुनाव लड़ा है।
शिवकुमार ने 3 प्रधानी के चुनाव 3 जिला पंचायत के साथ 7 चुनाव विधानसभा और अब तक 3 चुनाव दिल्ली वाले यानी लोकसभा ले लड़े है और अब वह चौथी बार 2024 में लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। उनका कहना है कि उनके मुद्दे क्या है अगर वह बता देंगे तो लोग नकल कर लेंगे।
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