प्रादेशिक
1 साल से ‘कुत्ता’ राशन कार्ड पर ले रहा था राशन, और एक दिन अचानक…!
भोपाल। आधार कार्ड की अनिवार्यता को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आज ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए आम जनता के हित में फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद कांग्रेस और बीजेपी अलग-अलग तरीके इसे अपनी जीत बता रही है। लेकिन आज हम आपको आधार कार्ड से जुड़ी एक ऐसी बात बताने जा रहे हैं जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे।
मध्य प्रदेश के धार जिले में एक शख्स अपने पालतू कुत्ते के नाम पर 1 साल से राशन उठा रहा था। लेकिन उसकी चोरी तब पकड़ी गई जब उससे आधार कार्ड मांगा गया। राशन कार्ड में दर्ज तीन नामों में उसने दो लोगों के आधार तो उपलब्ध करा दिए लेकिन तीसरा आधार न दिखा सका। बाद में पूछताछ में उसने बताया कि तीसरा नाम उसके कुत्ते का है।
कुत्ते के नाम पर राशन उठाने वाले आरोपी का नाम नरसिंह बोदर है। वह धार के गुलरीपाड़ा का रहने वाला है। नरसिंह बोदर तीन लोगों के राशन के लिए दुकान पहुंचे। जब उससे राशन विक्रेता कैलाश मारू ने तीनों लोगों के आधार नंबर मांगे तो वह केवल दो के ही दे पाया।
बाद में उसने बताया कि तीसरा उसका पालतू कुत्ता है। जिसे वह बेटे जैसा मानता है। इसलिए उसका नाम राशन कार्ड में राजू नाम से दर्ज है। राजू के नाम के आगे ‘मुखिया से संबंध’ यानि की उसे अपना बेटा बताया हुआ है।
इस बारे में राशन विक्रेता कैलाश मारू ने बताया कि ग्राम पंचायत की ओर से बना राशन कार्ड बिना सत्यापन के बनाया गया था और वह एक साल से उसके नाम पर राशन ले रहा था।
कैलाश ने आगे बताया कि सरकारी सेवा का लाभ लेने वाले शख्स की पहचान करने आधार नंबर लिए जा रहे थे। इसी के चलते जब नरसिंह से पीओएस मशीन में राशन कार्ड में दर्ज लोगों के आधार नंबर डाले जाने के लिए कहा तो कुत्ते के नाम होने की बात सामने आई।
बताया जा रहा है कि कार्ड में दर्ज प्रति व्यक्ति के हिसाब से नरसिंह को हर महीने 5 किलो राशन दिया जाता है। इस हिसाब से उसके कुत्ते के नाम पर साल भर में 60 किलो राशन लिया गया।
घटना के बाद सरकारी विभागों के हाथ पांव फूल गए हैं। खाद्य विभाग की टीम नरसिंह बोदर को खोज में लगी है। खाद्य निरीक्षक अनुराग वर्मा ने जनपद पंचायत सरदारपुर के सीईओ को राशन कार्ड से कुत्ते का नाम हटाने का आदेश दिया है।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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