नेशनल
यूपीपीसीएस प्री-टेस्ट का पर्चा लीक, परीक्षा रद्द
लखनऊ। उत्तर प्रदेश प्रांतीय सिविल सर्विसेज (यूपीपीसीएस) की प्रारंभिक परीक्षा का पर्चा लीक होने के बाद इस परीक्षा को रद्द कर दिया गया। कहा जा रहा है कि पर्चा पांच लाख रुपये में बिका है। मामले की जांच के लिए स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) की तीन टीमें बनाई गई हैं। एसटीएफ ने कई लोगों को हिरासत में लिया है। उनसे पूछताछ की जा रही है। मामले की पुष्टि होने के बाद परीक्षा रद्द कर दी गई है। वहीं, मामले से अभ्यर्थी आक्रोशित हो गए हैं। उन्होंने लखनऊ में अलीगंज स्थित लोक सेवा आयोग परीक्षा भवन में हंगामा किया। फिलहाल तीन थानों की पुलिस मौके पर तैनात है।
पूरे मामले पर पुलिस महानिदेशक एके जैन का कहना है कि पर्चा लीक होने की जानकारी शनिवार देर रात ही मिली थी। लिहाजा, परीक्षा कैंसिल कर दी गई है और अब दोबारा परीक्षा होगी। पुलिस और एसटीएफ की टीमें मामले की जांच कर रही हैं। उन्होंने कहा कि पेपर लीक करने वाले गिरोह का पता लगाया जा रहा है। शुरुआती जांच में कुछ नए नंबर मिले हैं, जिनसे पेपर लीक हुआ है। इनमें से कोई परीक्षा पेपर लीक करने वाले गैंग से जुड़ा हो सकता है। जल्द ही मामले का खुलासा हो जाएगा और आरोपियों की गिरफ्तारियां होंगी।
उन्होंने कहा कि पेपर लीक होने की जानकारी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और मुख्य सचिव को दे दी गई है। परिक्षार्थियों से अपील है कि वे शांति बनाए रखें और कानून को अपने हाथ में न लें। उल्लेखनीय है कि रविवार को आयोजित इस परीक्षा के लिए कड़े सुरक्षा इंतजाम किए गए थे। परीक्षा के लिए उप्र के 20 जिलों में 917 परीक्षा केंद्र बनाए गए थे। पीसीएस की इस प्रारंभिक परीक्षा में 4.45 लाख परीक्षार्थियों के शामिल होने का अनुमान था।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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