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प्रादेशिक

कश्मीर पर मंडराया बाढ़ का खतरा, जायजा लेने पहुंचे सईद

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Srinagar_flood

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जम्मू। जम्मू एवं कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद रविवार को श्रीनगर के लिए रवाना हुए। वह कश्मीर घाटी में लगातार बारिश के कारण बने बाढ़ जैसे हालात का स्वयं जायजा लेने पहुंचे। मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद से सईद का कश्मीर घाटी का यह पहला दौरा है। उन्होंने एक मार्च 2015 को पद की शपथ ली थी।

उप-मुख्यमंत्री निर्मल सिंह ने रविवार को विधानसभा में बताया कि कश्मीर घाटी में लगातार बारिश के कारण बाढ़ की आशंका के मद्देनजर सईद श्रीनगर के दौरे पर गए हैं। सिंह ने विधानसभा में बताया कि भारी बारिश के कारण उत्पन्न स्थिति के प्रति प्रशासन सचेत है और स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है। उन्होंने कहा कि सभी ऐहतियाती उपाय किए जा रहे हैं, इसीलिए लोगों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। उन्होंने रविवार की सुबह 11 बजे जानकारी दी कि दक्षिणी कश्मीर के अनंतनाग जिले में संगम में झेलम नदी का जलस्तर 12 फीट दर्ज किया गया, जबकि खतरे का स्तर 18 फीट है।

श्रीनगर शहर में राम मुंशीबाग इलाके में जलस्तर 12.6 फीट दर्ज किया गया, जबकि खतरे का जलस्तर 16 फीट होता है। वहीं बांदीपुरा जिले के अशाम में जलस्तर 8.50 फीट दर्ज किया गया जबकि खतरे का स्तर 30 फीट होता है। उप-मुख्यमंत्री ने कहा कि जलस्तर के बारे में नियंत्रण कक्ष को लगातार जानकारी दी जा रही है, घबराने की जरूरत नहीं है।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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