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विश्व कप : फाइनल की जंग में न्यूजीलैंड ने ऑस्ट्रेलिया को दिया 184 रनों का लक्ष्य
मेलबर्न : मेलबर्न क्रिकेट मैदान (एमसीजी) पर जारी आईसीसी विश्व कप-2015 के फाइनल मुकाबले में आस्ट्रेलिया के खिलाफ टॉस जीतकर न्यूजीलैंड का पहले बल्लेबाजी चुनने का फैसला गलत साबित हुआ, क्योंकि उसके बल्लेबाज आस्ट्रेलियाई आक्रमण के आगे कुछ खास नहीं कर सके और 45 ओवरों में सिर्फ 183 रन बनाकर धराशायी हो गए।
अब चार बार की चैम्पियन आस्ट्रेलिया को अपना रिकॉर्ड पांचवां खिताब जीतने के लिए निर्धारित 50 ओवरों में 184 रनों की दरकार है। अपना सातवां विश्व कप फाइनल खेल रही आस्ट्रेलियाई टीम को शानदार शुरुआत दिलाते हुए टूर्नामेंट में उसके अब तक के सफलतम तेज गेंदबाज मिशेल स्टार्क ने पांचवीं गेंद पर ही पहली सफलता दिला दी। अब तक टूर्नामेंट में बेहद आक्रामक खेलते आ रहे और इस मैच में आस्ट्रेलिया के लिए मुख्य खतरा माने जा रहे न्यूजीलैंड के कप्तान ब्रेंडन मैक्लम खाता खोले बगैर क्लीन बोल्ड हो गए। मैक्लम के जाने के बाद न्यूजीलैंड पर दबाव साफ दिखने लगा और उसकी रन गति काफी धीमी हो गई। आस्ट्रेलियाई कप्तान माइकल क्लार्क ने गेंदबाजी में परिवर्तन करते हुए तेज गेंदबाजों को आराम देकर स्पिन गेंदबाज ग्लेन मैक्सवेल को 12वें ओवर में आक्रमण पर बुलाया और मैक्सवेल ने अपनी दूसरी ही गेंद पर इसी विश्व कप में दोहरा शतक लगा विश्व कप की सबसे बड़ी पारी खेलने वाले मार्टिन गुप्टिल (15) को 33 के कुल योग पर क्लीन बोल्ड कर दिया।
गुप्टिल ने 34 गेंदों का सामना किया था और एक चौका और एक छक्का लगाया था। गुप्टिल के जाने के छह गेंद बाद ही 33 गेंदों पर एकमात्र चौका लगाकर परेशानी में दिख रहे केन विलियमसन (12) भी मिशेल जॉनसन की गेंद पर जॉनसन को ही आसान कैच थमा बैठे। 39 के कुल योग पर विलियमसन के जाने के बाद हालांकि रॉस टेलर (40) और ग्रांट इलियट (83) ने चौथे विकेट के लिए संयम के साथ खेलते हुए 111 रनों की साझेदारी निभाई। आस्ट्रेलियाई आक्रमण को इससे समझा जा सकता है कि इस विश्व कप में आस्ट्रेलिया के खिलाफ किसी भी टीम की यह दूसरी शतकीय साझेदारी रही। इस साझेदारी की बदौलत संभलती दिख रही न्यूजीलैंड की पारी को हालांकि जेम्स फॉल्कनर ने 36वें ओवर में दो विकेट चटकाकर पलट दी। फॉल्कनर ने 36वें ओवर की पहली गेंद पर पहले रॉस टेलर को विकेट के पीछे ब्रैड हैडिन के हाथों लपकवाकर यह शतकीय साझेदारी तोड़ी और उसके बाद तीसरी ही गेंद पर कोरी एंडरसन को खाता खोले बगैर क्लीन बोल्ड कर पवेलियन की राह दिखा दी और न्यूजीलैंड को पांचवां बड़ा झटका दे दिया।
टेलर 72 गेंदों की अपनी पारी में दो चौके लगा सके। स्टार्क ने अगले ही ओवर में ल्यूक रोंची को भी शून्य के निजी योग पर क्लार्क के हाथों कैच करवा दिया और न्यूजीलैंड की आखिरी बल्लेबाजी विशेषज्ञ जोड़ी को भी तोड़ दिया। इस बीच इलियट एक छोर थामकर खड़े रहे और लगभग हर ओवर में एक बाउंड्री के साथ ठीक-ठाक स्कोर करते रहे, लेकिन दूसरे छोर से विकेटों के गिरने का सिलसिला आगे भी जारी रहा। 35 ओवर में तीन विकेट पर 150 रन बनाकर ठीक-ठाक नजर आ रही न्यूजीलैंड टीम ने आखिरी के 10 ओवरों में 33 रन बनाने में अपने शेष सात विकेट गंवा दिए।
82 गेंदों में सात चौके और एक छक्का लगाकर 83 रनों की बेहतरीन पारी खेलने वाले इलियट, फॉल्कनर द्वारा लाए गए 42वें ओवर की पांचवीं गेंद पर विकेट के पीछे लपके गए और 171 के कुल योग पर उनकी जुझारू पारी का अंत हो गया। आस्ट्रेलिया की ओर से जॉनसन और फॉल्कनर ने तीन-तीन विकेट चटकाए, जबकि स्टार्क को दो और मैक्सवेल को एक विकेट मिला।
नेशनल
दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!
सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ
लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।
26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।
इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।
इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।
इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान
असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।
दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।
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