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आध्यात्म

गणेश चतुर्थी 2020 : इन उपाय से विघ्नहर्ता भगवान गणेश दूर करेंगे आपकी सारी तकलीफें

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गणेश चतुर्थी के दिन सभी देवी-देवताओं में सबसे पहले पूजे जाने वाले भगवान गणेश का जन्म हुआ था। भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बड़ी धूम-धाम से भगवान गणेश की पूजा और प्रतिमा की स्थापना की जाती है। गणेश जी को मोदक बहुत प्र‍िय हैं और उनको इसका भोग जरूर लगाया जाता है।

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स्पेशल पूजन विधि – घर की उत्तर दिशा में पीला कपड़ा बिछाकर गणेश जी की मिट्टी की मूर्ति स्थापित कर सोलह रूप में पूजा करें। घी में हल्दी मिलाकर दीपक जलाएं, चंदन की धूप करें, पीत चंदन से तिलक करें, पीले कनेर के फूल चढ़ाएं, 4 केले चढ़ाएं, मोतीचूर के लड्डू का भोग लगाएं। रुद्राक्ष की माला से 108 बार यह विशेष मंत्र जपें। रात को चंद्रमा को पीतल के लोटे में जल, इत्र, हल्दी, चंदन, रोली मिलाकर बिना देखे अर्घ्य दें व भोग प्रसाद स्वरूप सभी में वितरित करें।

स्पेशल मंत्र – ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्॥

स्थापना मुहूर्त – दिन 11:52 से दिन 12:41 तक।

गणेश पूजन मुहूर्त – शाम 5:10 से शाम 6:10 तक।

चंद्रोदय पूजन मुहूर्त – शाम 6:30 से शाम 7:30 तक।

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स्पेशल टोटके –

ऋद्धि-सिद्धि की प्राप्ति के लिए – गणेश जी को 21 लड्डूओं का भोग लगाएं। उनमें से 16 लड्डू ब्राह्मणों में बांट दें।

संकटों का नाश करने के लिए – मौली में 21 दूर्वा बांधकर मुकुट बनाकर गणेश जी के सिर पर बांधें।

कलंक से मुक्ति के लिए – आईने में अपनी शक्ल देखकर उसे गणपति मंदिर में चढ़ाएं।

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उपाय चमत्कार –

गुड हेल्थ के लिए –  गणपति पर चढ़े बेसन के लड्डू का सेवन करें।

 गुडलक के लिए –  हल्दी हाथ में लेकर ‘ॐ सिद्धिविनायकाय नमः’ मंत्र का 21 बार जाप करें।

विवाद टालने के लिए –  दही-शक्कर के घोल में अपनी छाया देखकर किसी कुत्ते को खिलाएं।

नुकसान से बचने के लिए – 12 दूर्वा पर हल्दी लगाकर गणपति पर चढ़ाएं।

प्रोफेशनल सक्सेस के लिए –  गणपति पर चढ़ी साबुत हल्दी ऑफिस की डेस्क पर रखें।

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एजुकेशन में सक्सेस के लिए –  गणपति पर चढ़ा रेड-गोल्डन पेन इस्तेमाल करें।

बिज़नेस में सफलता के लिए –  गणपति पर चढ़े साबुत धनिया के बीज तिजोरी में रखें।

पारिवारिक खुशहाली के लिए –  संध्या के समय गणपति की पीत कर्पूर-चंदन जलाकर आरती करें।

लव लाइफ में सक्सेस के लिए –  गणपति पर चढ़ी मौली अपनी बाईं कलाई पर बांधे।

मैरिड लाइफ में सक्सेस के लिए –  दंपत्ति गणपति पर लाल-पीले फूलों का गुलदस्ता चढ़ाएं।

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आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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