Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

आध्यात्म

कृष्ण की जीवन लीलाएं : कंस वध के बाद क्या हुआ श्री कृष्ण का?

Published

on

Loading

मथुरा। भगवान श्री कृष्ण का जन्म भद्र मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी के दिन रात 12 बजे हुआ था। कृष्ण विष्णु के 8वें अवतार हैं जिन्होंने द्वापर युग में जन्म लिया, ताकि वो लोगों को अपने मामा कंस द्वारा किए जाने वाले अत्याचारों से बचा सकें। चूंकि भगवान विष्णु सीधे इस धरती पर अवतरित हुए और यह उनका भौतिक अवतार था इसलिए उस दिन को कृष्णाष्टमी या जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है।

भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से तो हम सभी वाकिफ़ हैं। बाल्यावस्था से लेकर युवावस्था तक उन्होंने अचंभित करने वाली घटनाओं को सबके सामने अंजाम दिया। ऐसी ही कुछ घटनाओं के बारे में हम आपको बताएंगे।

1. मथुरा में जन्में श्रीकृष्ण-

भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था। उनका बचपन गोकुल, वृंदावन, नंदगाव, बरसाना आदि जगहों पर बीता।

2. देवराज इन्द्र के घमंड को किया चूर-

अपनी कई हैरान करने वाली लीलाओं के दौरान श्रीकृष्ण ने असुर, दैत्यों से लेकर देवराज इन्द्र तक के गुरूर को चूर कर दिया था।

3. क्रूर शासक कंस का वध-

अपने मामा कंस का वध करने के बाद उन्होंने अपने माता-पिता को कंस के कारागार से मुक्त कराया और फिर जनता के अनुरोध पर मथुरा का राजभार संभाला। मथुरा की जनता भी कंस जैसे क्रूर शासक से मुक्त होना चाहती थी।

4. जरासंध बना कृष्ण का कट्टर शत्रु-

कंस के मारे जाने के बाद कंस का ससुर जरासंध कृष्ण का कट्टर शत्रु बन गया। जरासंध मगध का अत्यंत क्रूर एवं साम्राज्यवादी का शासक था।

5. जरासंध ने कई राजाओं को किया अपने अधीन-

हरिवंश पुराण के अनुसार उसने काशी, कोशल, चेदि, मालवा, विदेह, अंग, वंग, कलिंग, पांड्य, सौबीर, मद्र, कश्मीर और गांधार के राजाओं को परास्त कर सभी को अपने अधीन बना लिया था।

6. कृष्ण से बदला लेने का किया प्रयास-

कृष्ण से बदला लेने के लिए जरासंध ने पूरे दल-बल के साथ शूरसेन जनपद मथुरा पर एक बार नहीं कई बार चढ़ाई की। लेकिन हर बार वह असफल रहा।

7. जरासंध ने 18 बार मथुरा पर किया आक्रमण-

पुराणों के अनुसार जरासंध ने मथुरा पर शासन के लिए 18 बार मथुरा पर चढ़ाई की। इस दौरान वह 17 बार असफल रहा।

8. कालयवन का भी लिया साथ-

मथुरा पर अंतिम बार आक्रमण के लिए उसने एक विदेशी शक्तिशाली शासक कालयवन को भी मथुरा पर आक्रमण करने के लिए प्रेरित किया।

9. युद्ध में मारा गया कालयवन-

लेकिन युद्ध में कालयवन के मारे जाने के बाद उस देश के शासक और उसके परिवार के लोग भी कृष्ण के दुश्मन बन गए।

10. कृष्ण ने अपने वंशजों के साथ छोड़ा मथुरा-

अंत में कृष्ण ने सभी यदुओं के साथ मिलकर मथुरा को छोड़कर जाने का फैसला किया। विनता के पुत्र गरुड़ की सलाह पर कृष्ण कुशस्थली आ गए।

(रिपोर्ट : द्वारकेश बर्मन)

आध्यात्म

होलिका दहन पर भद्रा का साया, जानें शुभ मुहूर्त

Published

on

Loading

नई दिल्ली। 24 मार्च यानी आज होलिका दहन मनाया जाएगा. होली के एक दिन पहले होलिका दहन होती है जिसमें लोग बढ़ चढ़कर भाग लेते हैं। इस दिन भद्रा का साया रहेगा. जबकि रंग वाली होली 25 मार्च को रंग-गुलाल उड़ेंगे। इस साल होली पर साल का पहला चंद्र ग्रहण भी लगने वाला है। आइए जानते हैं कि इस साल होलिका दहन पर भद्रा का साया कब से कब तक रहेगा और होलिका दहन का शुभ मुहूर्त क्या रहने वाला है.

होलिका दहन पर भद्रा कब से कब तक?

24 मार्च को होलिका दहन के दिन भद्रा का साया सुबह 9 बजकर 24 मिनट से लेकर रात 10 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। इसलिए आप रात 10 बजकर 27 मिनट के बाद ही होलिका दहन कर पाएंगे।

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 9 बजकर 54 मिनट से लेकर 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगी। ऐसे में होलिका दहन 24 मार्च को किया जाएगा. होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 24 मार्च को रात 11.13 बजे से रात 12.27 बजे तक रहेगा।

होलिका दहन की पूजन विधि

होलिका दहन के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठें और स्नानादि के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें। शाम के वक्त होलिका दहन के स्थान पर पूजा के लिए जाएं। यहां पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें. सबसे पहले होलिका को उपले से बनी माला अर्पित करें। अब रोली, अक्षत, फल, फूल, माला, हल्दी, मूंग, गुड़, गुलाल, रंग, सतनाजा, गेहूं की बालियां, गन्ना और चना आदि चढ़ाएं।

फिर होलिका पर एक कलावा बांधते हुए 5 या 7 बार परिक्रमा करें. होलिका माई को जल अर्पित करें और सुख-संपन्नता की प्रार्थना करें। शाम को होलिका दहन के समय अग्नि में जौ या अक्षत अर्पित करें. इसकी अग्नि में नई फसल को चढ़ाते हैं और भूनते हैं। भुने हुए अनाज को लोग घर लाने के बाद प्रसाद के रूप में बांटतें हैं। शास्त्रों में ऐसा करना बहुत ही शुभ माना गया है।

Continue Reading

Trending