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दिल्ली सरकार का बड़ा फैसला, केंद्र समेत बाकी राज्यों को भी लेनी चाहिए सीख

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नई दिल्ली। हमेशा विवादों में घिरे रहने वाले अरविंद केजरीवाल से दिल्ली की जनता काफी खुश है। ये दावा हम नहीं कर रहे बल्कि दिल्ली सरकार के एक फैसले से ऐसा लगता है। देश में कई बार आपने स्वर्ण पदक जीतने वाले खिलाड़ियों की दुर्दशा के बारे में सुना होगा। लेकिन दिल्ली सरकार ने पदक विजेताओं को लेकर एक ऐसा फैसला लिया है, जिससे केंद्र समेत अन्य राज्यों को भी सीख लेनी चाहिए।

दिल्ली सरकार ने गुरुवार को ओलम्पिक और पैरालम्पिक पदक जीतने वाले खिलाड़ियों की ईनामी राशि में इजाफा करने का फैसला किया है। दिल्ली सरकार ने कहा है कि अब अगर दिल्ली का कोई खिलाड़ी ओलम्पिक में स्वर्ण पदक जीतकर लाता है तो उसे 3 करोड़ का ईनाम दिया जाएगा। वहीं रजत जीतने वाले को दो करोड़ और कांस्य जीतने वाले को एक करोड़ रुपये की राशि दी जाएगी।

उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट कर बताया, दिल्ली के खिलाड़ियों के लिए अच्छी खबर। कैबिनेट ने फैसला किया है कि वह ओलम्पिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को तीन करोड़ रुपये ईनाम के तौर पर देगी। वहीं रजत पदक जीतने वालों को दो करोड़ तो वहीं कांस्य जीतने वालों को एक करोड़ रुपये दिए जाएंगे।

उन्होंने कहा, इसी तरह एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वालों दिल्ली के खिलाड़ियों को दिल्ली सरकार एक करोड़ रुपये का ईनाम देगी। रजत पदक जीतने वालों को 75 लाख रुपये तो वहीं कांस्य पदक जीतने वालों को 50 लाख रुपये का ईनाम मिलेगा। इसके लिए खिलाड़ी का आखिरी तीन साल दिल्ली का निवासी होना जरूरी है।

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सीएम बने रहेंगे केजरीवाल, कोर्ट ने पद से हटाने वाली याचिका की खारिज

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नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उनके पद से हटाने की मांग वाली जनहित याचिका हाई कोर्ट ने खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि ऐसी कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है कि अरविंद केजरीवाल अपने पद पर बने नहीं रह सकते हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि ये कार्यपालिका से जुड़ा मामला है। दिल्ली के उपराज्यपाल इस मामले को देखेंगे और फिर वह राष्ट्रपति को इस भेजेंगे। इस मामले में कोर्ट की कोई भूमिका नहीं है।

केजरीवाल को सीएम पद से हटाने के लिए याचिका दिल्ली के रहने वाले सुरजीत सिंह यादव ने दी है, जो खुद किसान और सामाजिक कार्यकर्ता बताते हैं। सुरजीत सिंह यादव का कहना था कि वित्तीय घोटाले के आरोपी मुख्यमंत्री को सार्वजनिक पद पर बने रहने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए। याचिकाकर्ता सुरजीत ने अपनी याचिका में कहा था कि केजरीवाल के पद पर बने रहने से न केवल कानून की उचित प्रक्रिया में दिक्कत आएगी, बल्कि न्याय प्रक्रिया भी बाधित होगी और राज्य में कांस्टीट्यूशनल सिस्टम भी ध्वस्त हो जाएगा।

याचिका में कहा गया था कि सीएम ने गिरफ्तार होने के कारण एक तरह से मुख्यमंत्री के रूप में अपना पद खो दिया है, चूंकि वह हिरासत में भी हैं, इसलिए उन्होंने एक लोक सेवक होने के कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को निभाने से खुद को अक्षम साबित कर लिया है, अब उन्हें इस मुख्यमंत्री पद पर नहीं बने रहना चाहिए।

 

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