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नेशनल

2017 में साख खो चुकी सपा ने भरी हुंकार, 2019 में टीपू भाइया लगाएंगे नइया पार

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लखनऊ। जैसे-जैसे चुनाव नज़दीक आते जा रहे हैं वैसे-वैसे सभी पार्टियां तैयारियां, रैलियां, नई रणनीतियां बनाने में जुट गई हैं। इसी क्रम में 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अपनी ज़मीन खो चुकी समाजवादी पार्टी ने हुंकार भर दी है। पार्टी 2019 में एक बार फिर अपनी खोई साख तलाशेगी। इन्हीं तैयारियों के चलते सपा कार्यकर्ताओं की ‘सामाजिक न्याय एवं प्रजातंत्र बचाओ-देश बचाओ’ साइकिल यात्रा गाजीपुर से सोमवार को शुरू हो गई। ये यात्रा 23 सितम्बर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर समाप्त होगी।

इस साइकिल यात्रा का नेतृत्व एमएलसी रामवृक्ष सिंह यादव कर रहे हैं। इस साइकिल यात्रा अभियान में छात्र नेता अभिषेक यादव, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व उपाध्यक्ष आदिल हमजा और मौजूदा उपाध्यक्ष चन्द्रशेखर चौधरी शामिल रहेंगे।

गाजीपुर से शूरू हुई इस यात्रा को सांसद धर्मेंद्र यादव और राज्यसभा सदस्य नीरज शेखर के साथ पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव इन्द्रजीत सरोज, पूर्व सांसद रमाशंकर विद्यार्थी राजभर, पूर्व विधायक अविनाश कुशवाहा, एमएलसी राजपाल कश्यप व विधायक संग्राम सिंह यादव हरी झंडी दिखाएंगे।

इस साइकिल यात्रा का मुख्य उद्देश्य कस्बों व गांवों में जाना, रुकना, वहां के स्थानीय निवासियों से भेंटकर करना, सपा की नीतियों बताना, कार्यक्रमों और अखिलेश सरकार के समय में अमल में लाई गईं बड़ी-बड़ी योजनाओं और कार्यों की का प्रचार करना है।

नेशनल

सीएम बने रहेंगे केजरीवाल, कोर्ट ने पद से हटाने वाली याचिका की खारिज

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नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उनके पद से हटाने की मांग वाली जनहित याचिका हाई कोर्ट ने खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि ऐसी कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है कि अरविंद केजरीवाल अपने पद पर बने नहीं रह सकते हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि ये कार्यपालिका से जुड़ा मामला है। दिल्ली के उपराज्यपाल इस मामले को देखेंगे और फिर वह राष्ट्रपति को इस भेजेंगे। इस मामले में कोर्ट की कोई भूमिका नहीं है।

केजरीवाल को सीएम पद से हटाने के लिए याचिका दिल्ली के रहने वाले सुरजीत सिंह यादव ने दी है, जो खुद किसान और सामाजिक कार्यकर्ता बताते हैं। सुरजीत सिंह यादव का कहना था कि वित्तीय घोटाले के आरोपी मुख्यमंत्री को सार्वजनिक पद पर बने रहने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए। याचिकाकर्ता सुरजीत ने अपनी याचिका में कहा था कि केजरीवाल के पद पर बने रहने से न केवल कानून की उचित प्रक्रिया में दिक्कत आएगी, बल्कि न्याय प्रक्रिया भी बाधित होगी और राज्य में कांस्टीट्यूशनल सिस्टम भी ध्वस्त हो जाएगा।

याचिका में कहा गया था कि सीएम ने गिरफ्तार होने के कारण एक तरह से मुख्यमंत्री के रूप में अपना पद खो दिया है, चूंकि वह हिरासत में भी हैं, इसलिए उन्होंने एक लोक सेवक होने के कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को निभाने से खुद को अक्षम साबित कर लिया है, अब उन्हें इस मुख्यमंत्री पद पर नहीं बने रहना चाहिए।

 

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