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आध्यात्म

जेकेपी ने संवारा निर्धनों का जीवन, हजारों विद्यार्थियों को बांटी उपयोगी वस्तुएं

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मथुरा।  जगद्गुरू कृपालु परिषत् के तत्वाधान में आयोजित कार्यक्रम में गुरूवार 24 अगस्त 2018 को रँगीली महल में निर्धन एवं असहाय व्यक्तियों व विधवाओं की सहायता करते हुए उन्हें प्रसाद व दैनिक उपयोगी वस्तुएं बांटी गईं और निर्धन विद्यार्थियों को शैक्षिक सामग्री और उपयोग की वस्तुएं बांटी गईं ।

इस क्रम में 24 अगस्त 2018 को बरसाना स्थित रँगीली महल प्रांगण में 32 विद्यालयों से आए लगभग 5,000 विद्यार्थियों को शैक्षिक सामग्री और उपयोग की वस्तुएं बांटी गईं। इसमें हर एक छात्र को नोटबुक, पेन, पेंसिल , ज्योमैट्री बॉक्स, रबर, शार्पनर, स्कूल बैग और एक एक टिफिन बॉक्स व पानी की बोतल भी प्रदान की गई।

कार्यक्रम में जगद्गुरू कृपालु परिषत् की तीनों अध्यक्षाओं डॉ. विशाखा त्रिपाठी, श्यामा त्रिपाठी और डॉ. कृष्णा त्रिपाठी ने सभी विद्यार्थियों को पढ़ाई के लिए उपयोगी सामान प्रदान किए और निर्धन एवं असहाय व्यक्तियों व विधवाओं की सहायता करते हुए उन्हें प्रसाद व दैनिक उपयोगी वस्तुएं बांटी।

इस कार्यक्रम में आए शिक्षक व शिक्षिकाओं को सम्मान करने के लिए उन्हें एक एक थाली व गर्म पानी रखने के लिए मग और होट केस उपहार स्वरूप भेंट किया गया।

अगस्त 2018 में जगद्गुरू कृपालु परिषत् की तीनों अध्यक्षाओं के मार्गदर्शन में चार विशेष वितरण कार्यक्रम आयोजित किए गए। इसमें मनगढ़, वृंदावन और बरसाना में क्रमश: सात, 23 और 24 अगस्त 2018 को विद्यालयों के लिए विशेष वितरण कार्यक्रम आयोजित किए गए। इन वितरण कार्यक्रमों में लगभग 5,000 विद्यालयों को शैक्षिक व दैनिक उपयोगी वस्तुएं दान स्वरूप वितरित की गईं। इसमें कुल मिलाकर 15,000 विद्यार्थी लाभान्वित हुए। छात्रों के साथ आए शिक्षक व शिक्षिकाओं को भी एक एक थाली व गर्म पानी रखने के लिए बड़ा मग और होट केस प्रदान किया गया। इसमें लगभग 650 अध्यापक लाभान्वित हुए।

मनगढ़ में दिनांक 16 अगस्त 2018 को 8,000 निर्धन और अभावग्रस्त लोगों को एक-एक चादर और थाली दान स्वरूप बांटी गईं।जगद्गुरू कृपालु परिषत् की तीनों अध्यक्षाओं के निर्देशन व मार्गदर्शन में जेकेपी ट्रस्ट समय-समय पर ऐसी समाजसेवी गतिविधियां करता रहता है।

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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