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माथे पर लाल टीका लगाकर अटल ने की थी अंतिम प्रेस कॉन्फ्रेंस, कह दी थी ये बड़ी बात

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अटल बिहारी वाजपेयी

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नई दिल्ली। 93 साल की उम्र में भारत रत्न और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी का निधन हो गया। शाम को आई मेडिकल बुलेटिन में इस बात का खुलासा किया गया कि अब अटल इस दुनिया में नहीं रहे। अटल जब तक सक्रिय राजनीति में रहे उन्हे हाजिर जवाबी और लोगों को अपने जवाब से लाजवाब कर देने के लिए जाना जाता था। उनके निधन से पूरे देश में शोक की लहर है।

अटल बिहारी वाजपेयी

आज हम अटल से जुड़ा एक किस्सा बताने जा रहे हैं जिसके बारे में आपको शायद ही पता हो। हम बात कर रहे हैं अटल जी के अंतिम प्रेस कॉन्फ्रेंस की। साल 2006 में लखनऊ में पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी ने कहा था कि भाजपा के नेतृत्व में कोई बदलाव नहीं होगा और पार्टी भविष्य में लाल कृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी।

अटल बिहारी वाजपेयी

उनकी आखिरी मीडिया बातचीत का यह वीडियो लखनऊ में वैज्ञानिक कन्वेंशन सेंटर में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारी बैठक का था। जिसमें वह पारंपरिक परिधान कुर्ता पायजामा और गहरे नीले रंग की जैकेट पहने हुए दिखाई दिए थे। उन्हें छड़ी की सहायता से चलते हुए देखा जा सकता है। चश्मा पहने माथे पर लाल रंग का टीका लगाए वह अपने चिर-परिचित अंदाज में नजर आए थे।

भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में परिवर्तन को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में वाजपेयी ने कहा था, ‘भाजपा के नेतृत्व के सवाल पर कोई भ्रम नहीं होना चाहिए। नेतृत्व बदलता रहता है और वरिष्ठ नेता आगे आते रहते हैं। यह एक निरंतर प्रक्रिया है। उन्होंने (मुख्तार अब्बास नकवी) ने जो कुछ कहा उससे घबराने की जरुरत नहीं है।’ इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में अटल जी ने कहा था कि भाजपा भविष्य में चुनाव लाल कृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी।

वाजपेयी ने कहा था, ‘आडवाणी जी हमारे नेता हैं और पार्टी उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी।’ इस वीडियो में उनके भाजपा नेता, लालजी टंडन, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, सुमित्रा महाजन, केसरी नाथ त्रिपाठी और कुसुम राय नजर आ रहे हैं। प्रेस को संबोधित करने से पहले उन्होंने एक सार्वजनिक सभा को संबोधित किया था। वाजपेयी ने लखनऊ में एक सार्वजनिक सभा को संबोधित किया था जो मेयर पद के उम्मीदवार दिनेश शर्मा के लिए शहर के अलीगंज में आयोजित की गई थी। दिनेश शर्मा इस समय यूपी के उपमुख्यमंत्री हैं।

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दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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