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सियासत का एक दौर वो भी था जब अटल-नेहरू सियासी नोंकझोक के बीच करते थे हंसी-ठिठोली
नई दिल्ली। एक शख्स जो मौत को ललकारता था, जिसे राजनीति का कोई लोभ नहीं था, जो हार सीना ठोक के स्वीकार करता था और जो काल के कपाल पर लिखता था, ऐसे युग पुरूष ‘अटल’ आज हमारे बीच नहीं हैं। एक कुशल वक्ता और सर्वगुण संपन्न जननेता होने के बावजूद अटल जी ने अपना 90 प्रतिशत जीवन विपक्ष में काट दिया। अटल जी से जुड़े किस्सों की फेहरिस्त में एक किस्सा वो भी है जब सदन में उनका जवाब सुनकर नेहरू हंस पड़े थे।
बात 1957 के दौर की है जब अटल जी बलरामपुर से कांग्रेस के हैदर हुसैन को हराकर पहली बार संसद पहुंचे थे। लोकसभा में किसी चर्चा के दौरान पंडित नेहरु ने अटल की पार्टी जनसंघ पर निशाना साधते हुए कहा कि, “ये पार्टी सामाजिक अस्थिरता के लिए जिम्मेदार है।”
जब अटल की बोलने की बारी आई तो अटल जी ने कहा, ”मुझे पता है नेहरु जी रोज़ सुबह शीर्षासन करते हैं, खूब करें पर कम से कम मेरी पार्टी की तस्वीर तो उल्टी ना देखें।”
इतना सुनना था कि पंडित नेहरु संसद में ही ज़ोर-ज़ोर से ठहाका मार-मार कर हंसने लगे। नेहरु जी समझ गए थे कि इन दो पंक्तियों के जवाब से अटल जी ने ना सिर्फ जनसंघ का पक्ष रखा बल्कि एक बेहद अलग हलके-फुल्के अंदाज़ में शब्दों का वो प्रहार किया है जो एक कुशल वक्ता भी घंटो के भाषण के बाद भी ना कर पाता। वाक्पटुता को संसद में सबसे व्यावहारिक रूप में इस्तेमाल करने का आरम्भ अटल जी ने ही किया था।
पूरी लोकसभा पंडित नेहरु को सुनती थी पर वो अटल जी को सुनते थे। पंडित नेहरु और अटल जी के बीच एक अलग ही सियासी रिश्ता था। ये अटल जी ही थे जिन्होंने नेहरु जी को संसद में हिंदी में बोलने और जवाब देने के लिए मजबूर किया था।
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हिमाचल कांग्रेस प्रभारी तजिंदर सिंह बिट्टू ने छोड़ी पार्टी, बीजेपी में हुए शामिल
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के कई बड़े नेता पार्टी से नाता तोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे। अब कांग्रेस को एक और बड़ा झटका लगा है। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस प्रभारी और प्रियंका गांधी के करीबी तजिंदर सिंह बिट्टू ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने के कुछ घंटे बाद ही बीजेपी में शामिल हो गए। उन्होंने दिल्ली में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव और बीजेपी महासचिव विनोद तावड़े की उपस्थिति में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। इससे पहले सोशल मीडिया पर इस्तीफे की जानकारी देते हुए बिट्टू ने कहा कि भारी मन से 35 साल बाद मैं कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे रहा हूं।
इसके अलावा, चौधरी करमजीत कौर ने भी बीजेपी मुख्यालय पहुंच कर पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। बता दें करमजीत कौर कांग्रेस के टिकट पर जालंधर से लोकसभा चुनाव लड़ चुकी हैं। हालांकि, मौजूदा समय में वह कांग्रेस से नाराज बताई जा रही थीं।
जानकारी के लिए बता दें कि तेजिंदर सिंह बिट्टू ने शनिवार को कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद बीजेपी नेता और एडवोकेट जयवीर शेरगिल से मुलाकात की थी। इसकी जानकारी खुद शेरगिल ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से साझा की थी। उन्होंने बिट्टू के साथ एक तस्वीर शेयर करते हुए लिखा, ‘तेजिंदर बिट्टू, पूर्व सचिव एआईसीसी, सह-प्रभारी हिमाचल प्रदेश से मिलना हमेशा खुश करता है। उनकी आगे की नई पारी के लिए शुभकामनाएं।’
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के कांग्रेस छोड़ने के बाद से एक-एक करके कई सीनियर नेता पार्टी छोड़ते जा रहे हैं। कांग्रेस छोड़ने वाले ज्यादातर नेता बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। इनमें अमरिंदर सिंह, सुनील जाखड़ समेत कई नेता शामिल हैं।
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