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नेशनल

एक अटल जी थे, जो अफ़गानिस्तान दौरे से लौटकर जनता को बताते थे, होटल में हुई बातें

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नई दिल्ली। आज पूरा देश शोक व्यक्त कर रहा है क्योंकि हमारे बीच एक ऐसा शख्स अब नहीं है जो मौत को ललकार सकता था, जिसे राजनीति का कोई लोभ नहीं था और जो हार सीना ठोक के स्वीकार करता था, आज हमारे बीच अटल नहीं हैं। एक कुशल वक्ता और सर्वगुण संपन्न जननेता होने के बावजूद अटल जी ने अपना 90 प्रतिशत जीवन विपक्ष में काट दिया। अटल जी से जुड़े किस्सों की फेहरिस्त में एक किस्सा वो भी है जब जनता पार्टी की सरकार में विदेश मंत्री रहते हुए वो अफगानिस्तान के दौरे पर गए थे।

जनता पार्टी के सरकार में विदेश मंत्री रहते हुए अटल जी एक बार अफगानिस्तान के दौरे पर गए थे तो उन्होंने वहां के राजदूत से बातों-बातों में पूछा कि, “ये ग़ज़नी किधर पड़ता है अफगानिस्तान में?” अफगानिस्तानी राजदूत ने कहा कि, “ये गज़नी क्या है? हम नहीं जानते”। अटल जी ने भारत आने पर साफ़ किया कि अफगानिस्तान के इतिहास में लुटेरे महमूद ग़ज़नवी का कोई स्थान नहीं है। अटल जी ने खुद जनता को ये बताया कि जब से उन्होंने ग़ज़नवी के बारे में पढ़ा था तब से ये बात उनके ह्रदय में बाण की तरह चुभ रही थी कि भारत माँ के ख़ज़ाने को उसने कइयों बार लूटा था। अटल जी वहां के राजदूत से ऐसा सुनकर चौंक गए कि जिस ग़ज़नवी के किस्सों से यहाँ की किताबें पटी पड़ी हैं, असल में उसे वहां के लोगों ने ही दुत्कार दिया था। उसी अफगानिस्तान के दौरे पर अटल जी जिस होटल में रुके थे उस होटल का नाम था ”कनिष्क”। अटल जी ने एक बार फिर राजदूत से पूछा कि आपके यहाँ होटल का नाम कनिष्क कैसे है? कनिष्क कौन लगता है आपका? अफगानिस्तान के उस मुसलमान राजदूत का जवाब था कि कनिष्क हमारा पूर्वज था। हम लोग उसी के वंशज हैं।

आपको बता दें कि कनिष्क का साम्राज्य विस्तार आज के अफगानिस्तान तक था। ये सुनकर अटल जी ने पूर्वजों की परंपरा का स्मरण दिलाया। वो बोले, “भाई हम आप अलग-अलग नहीं है। हम आज भी उसी साझा संस्कृति के हिस्से हैं। जो प्राचीन काल से गांधार से लेकर जावा-सुमात्रा-स्वर्णभूमि तक भारत को जोड़े रखती थी।”

उत्तर प्रदेश

मां के लिए पसीना बहा रही अखिलेश यादव की बेटी, जनता के बीच जाकर मांग रही वोट

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मैनपुरी। यूपी के मैनपुरी में सात मई को वोटिंग होनी है। इस सीट से सपा प्रत्याशी डिंपल यादव मैदान में है। इस बार उनकी बेटी अदिति यादव भी मां के लिए जनता के बीच जाकर वोट मांग रहीं हैं। पिछले एक महीने में वह कई बार डिंपल के साथ मंचों पर दिखाई दीं।

शुक्रवार को एक बार फिर वे मंच पर दिखाई दीं। खास बात यह दिखी कि अदिति इस बार मंच पर मां डिंपल के साथ नहीं थीं। वह कार्यकर्ताओं के बीच अकेली दिखीं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह राजनीति में एंट्री लेने की तैयारी में नहीं बल्कि एंट्री ले चुकी हैं।

उन्होंने एक नुक्कड़ सभा में हिस्सा लिया। सात मई को होने वाले मतदान में सपा को जिताने की अपील की। इससे पहले कार्यकर्ताओं ने उन्हें चांदी का मुकुट, पुष्प माला और पगड़ी पहनाकर उनका स्वागत किया। वह भी कार्यकर्ताओं के बीच मजबूती के साथ दिखी।

 

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