Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

आध्यात्म

गरीबों के चेहरे पर जेकेपी ने लाई मुस्कान, 8000 लोगों को बांटी दैनिक उपयोग की वस्तुएं

Published

on

जेकेपी

Loading

जगद्गुरू कृपालु परिषत् के तत्वाधान में आयोजित कार्यक्रम में गुरुवार 16 अगस्त 2018 को भक्तिधाम मनगढ़ में 8,000 निर्धन और अभावग्रस्त लोगों को एक-एक चादर व थाली दान स्वरूप बांटी गईं।

राधे गोविन्द , गोविन्द राधे के मधुर संकीर्तन के बीच हुए इस वितरण कार्यक्रम में जगद्गुरू कृपालु परिषत् की अध्यक्षाओं डॉ. विशाखा त्रिपाठी, श्यामा त्रिपाठी और डॉ. कृष्णा त्रिपाठी ने अपने कर-कमलों से सभी लोगों को चादर व थाली प्रदान की गई।

जगद्गुरू कृपालु परिषत् की तीनों अध्यक्षाओं के निर्देशन व मार्गदर्शन में जेकेपी ट्रस्ट समय-समय पर ऐसी समाजसेवी गतिविधियां करता रहता है।

भक्तिधाम मनगढ़ में आयोजित कार्यक्रम में 8,000 निर्धन और अभावग्रस्त लोगों को एक-एक चादर व थाली दान स्वरूप बांटी गईं। परिषत् वर्ष में कई बार निर्धन एवं अभावग्रस्त जनता के लिए विशेष वितरण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इन कार्यक्रमों में दैनिक उपयोगी वस्तुओं का वितरण कर उनके जीवन को सुचारू और व्यवस्थित रूप प्रदान करने का प्रयास किया जाता है।

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

Published

on

Loading

नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

Continue Reading

Trending