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आध्यात्म

चारों ओर फैले अंधविश्वास के कूड़े पर झाड़ू लगाती सूर्य ग्रहण की ये सच्चाई

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नई दिल्ली। 11 अगस्त को इस साल का आख़िरी सूर्य ग्रहण पड़ने वाला है। ये 2018 का आखिरी सूर्य ग्रहण है। पिछले सूर्य ग्रहणों की तरह इस ग्रहण में भी लोग डरे हुए हैं और तमाम उपाय करने में लगे हुए हैं। लगभग सभी लोगों को पता है कि सूर्य ग्रहण कैसे होता है लेकिन आज हम आपको इस खगोलीय घटना की सच्चाई एक बार फिर से बताने जा रहे हैं। ताकि अपने आसपास फैले अंधविश्वास का खंडन आप आत्मविश्वास से कर सकें।

पृथ्वी अपनी धुरी पर निरंतर घूमते रहने के साथ-साथ सौरमंडल में सूर्य का चक्कर भी लगाती है। चंद्रमा पृथ्वी का उपग्रह है तो वह पृथ्वी के चारों ओर घूमता रहता है। ऐसे में कई बार चंद्रमा घूमते-घूमते सूर्य और पृथ्वी के बीच में आ जाता है। ऐसी दशा में पृथ्वी से सूर्य आंशिक या पूर्ण रूप से दिखाई नहीं देता है। यही घटना ‘सूर्य ग्रहण’ के नाम से जानी जाती है।

15 फरवरी को इस साल का पहला ‘सूर्य ग्रहण’ पड़ा था। दूसरा सूर्य ग्रहण 13 जुलाई को लगा था। इस बार सूर्य ग्रहण 11 अगस्त दिन शनिवार को दोपहर 1 बजकर 32 मिनट पर शुरू होगा। और शाम 5 बजकर 1 मिनट पर समाप्त होगा।

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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