आध्यात्म
सूर्यग्रहण के साथ है शनि अमावस्या, भूलकर भी ना करें ये काम
इस साल कुल 5 ग्रहण के योग बने, जिनमें 3 सूर्यग्रहण और 2 चंद्रग्रहण शामिल हैं। साल का पहला चंद्रग्रहण 31 जनवरी और दूसरा चंद्रग्रहण 27 जुलाई को लगा था। इस साल का पहला सूर्यग्रहण 15 फरवरी को, दूसरा 13 जुलाई को और अब तीसरा 11 अगस्त को पड़ने जा रहा है।
11 अगस्त यानि आज साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। साथ ही इस दिन शानि अमावस्या भी है। ग्रहण के साथ अमवास्या का होना अपने आप में एक विशेष संयोग है, इसको लेकर आपको कई सावधानियां बरतनी होंगी। इस दिन भूलकर भी ये 9 चीजें नहीं करनी चाहिए।
अकेले न जाएं – सूर्य ग्रहण दोपहर 1 बजकर 32 मिनट पर शुरू होगा और शाम को 5 बजे समाप्त होगा। ग्रहण के समय नकारात्मक शक्तियां हावी रहती हैं। इसलिए इस दिन किसी भी सुनसान जगह और श्मशान में नहीं जाना चाहिए ऐसी मान्यताएं कहती हैं।
देर तक ना सोएं – ग्रहण का सूतक काल 10 अगस्त की रात को 12 बजे के बाद 1 बजकर 32 मिनट से शुरू हो चुका है। इसलिए सुबह देर तक ना सोएं। इस दिन आप सुबह जल्दी उठें और पानी में नमक डालकर नहाएं।
मूर्ति का न करें स्पर्श – हिंदू मान्यताओं के अनुसार, सूतक काल से ही मूर्ति पूजा नहीं करनी चाहिए। साथ ही तुलसी और शामी का पौधा भी ना छुएं। लेकिन ग्रहण भारत में नहीं दिख रहा है इसलिए पूजा-पाठ में कोई बाधा नहीं। आज मंदिर के कपाट ग्रहण के दौरान भी खुले रहेंगे।
शारीरिक संबंध ना बनाएं – शास्त्रों के अनुसार, ग्रहण के दिन स्त्री-पुरुष प्रसंग से बचना चाहिए। ग्रहण के दौरान संबंध बनाना अशुभ और परलोक में कष्टकारी माना गया है।
वाद-विवाद से बचें – ग्रहण के समय मन शांत रखना चाहिए और ध्यान करना चाहिए। इससे ग्रहों का अशुभ प्रभाव दूर होता है। इस दिन घर में वाद-विवाद ना करें। ग्रहण के बाद पितृगणों को ध्यान में रखते हुए उनके नाम से कुछ दान करना चाहिए।
किसी का अपमान ना करें – शास्त्रों में गरीब या असहाय व्यक्ति को परेशान करने वाले को कभी भी माफ नहीं किया गया है। शनि अमावस्या और ग्रहण के दिन भूलकर भी इस तरह के काम नहीं करें। इससे शनिदेव नाराज होते हैं।
अनजान व्यक्ति से खाने को ना लें – अमावस्या के साथ ग्रहण भी है, इस दौरान कुछ लोग टोना-टोटका करते हैं इसलिए अनजान व्यक्ति आपको कुछ खाने को दे तो आप कतई ना खाएं।
गर्भवती महिलाएं ध्यान रखें – ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को थोड़ा सावधान रहना चाहिए। खाने-पीने से भी गर्भवती महिला को बचना चाहिए, ग्रहण के दौरान हानिकारक किरणें खाने को दूषित कर देती हैं ऐसी धार्मिक मान्यताएं कहती हैं।
वृक्षों को नहीं काटें – शास्त्रों में शनि अमावस्या और ग्रहण के दिन मांस-मदिरा से दूर रहने के लिए कहा गया है। 11 अगस्त को हरियाली अमावस्य भी है इसलिए इसलिए वृक्ष लगाना बहुत ही शुभ रहेगा।
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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