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नेशनल

अगस्त का महीना और हादसा: सरकारी दवा खाने से 161 बच्चे अस्पताल में भर्ती, एक की मौत

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मुंबई। बीएमसी द्वारा संचालित एक विद्यालय में दवा की खुराक लेने के बाद एक छात्रा की मौत हो गई और इससे कम से कम 161 विद्यार्थी बीमार हो गए। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। बीएमसी आपादा नियंत्रक के अधिकारियों ने कहा, पीड़िता की पहचान 12 वर्षीय चांदनी मोहम्मद शेख के रूप में हुई है। वह पूर्वी मुंबई के गोवंडी उपनगर की निवासी थी और संजय नगर बीएमसी स्कूल नंबर 2 में पढ़ती थी।

जैसे ही चांदनी की मौत की खबर फैली, बैंगनवाड़ी इलाके में अफरा-तफरी का माहौल पैदा हो गया। पेट दर्द, उल्टी और चक्कर की शिकायत करने वाले अन्य 161 विद्यार्थियों को शहर के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया। बीएमसी की कार्यकारी स्वास्थ्य अधिकारी पद्मजा केसकर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चांदनी को केंद्र सरकार के स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत टेबलेट दिया गया था। केसकर ने अपनी रिपोर्ट में कहा, उसे छह अगस्त को टेबलेट दिया गया था। वह अगले दिन विद्यालय से अनुपस्थित रही, लेकिन आठ और नौ अगस्त को विद्यालय आई थी। नौ अगस्त की रात उसने उल्टी की और उसके बाद उसकी मौत हो गई।

घाटकोपर के राजावाड़ी अस्पताल और गोवंडी के शताब्दी अस्पताल में जिन विद्यार्थियों को भर्ती कराया गया था, उनमें से 35 को निगरानी में रखा गया है, जबकि अन्य को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। चांदनी के माता-पिता ने अपनी बेटी की मौत के लिए बीएमसी के अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया है। पीड़िता के पिता शाहिद अली शेख ने कहा, ये टेबलेट अच्छे नहीं थे। प्रत्येक वर्ष, विद्यालय हमसे हमारे बच्चों को कोई भी दवा या सूई देने से पहले अनुमति लेता था। लेकिन इस बार ऐसा नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि दवाई लेने के बाद उसने पेट व छाती में दर्द की शिकायत की थी।

शेख ने कहा, पहले डॉक्टरों ने कहा कि यह कफ है और एक्सरे किया। बाद में उसने उल्टी शुरू कर दी और उसकी मौत हो गई। बीएमसी ने कहा कि पीड़िता के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है और मौत के वास्तविक कारणों का पोस्टमार्टम के बाद ही पता चल पाएगा कि क्या उसे पहले से कोई रोग था। कई चिंतित अभिभावकों ने कहा कि उनके बच्चे उल्टी करने लगे और चक्कर व पेट दर्द की शिकायत की, जिसके बाद बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराया गया। केसकर ने कहा कि केंद्रीय योजना के अंतर्गत पूरे देश में ऑयरन, फॉलिक एसिड और कृमि का टेबलेट दिया जाता है, लेकिन कहीं से भी किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना की खबर नहीं आई थी।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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